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Updated December 12th, 2021 at 15:11 IST

'स्वर्णिम विजय पर्व' पर बोले राजनाथ सिंह; 'आज मुझे जनरल बिपिन रावत की कमी काफी खल रही'

पाकिस्तान पर भारत की जीत के स्वर्ण जयंती समारोह में रक्षा मंत्री ने भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत के याद किया।

Reported by: Pratap Singh
Image: Twitter/@RajnathSingh
Image: Twitter/@RajnathSingh | Image:self
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नई दिल्ली: केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को 'स्वर्णिम विजय पर्व' के उद्घाटन समारोह को संबोधित किया। इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आज हम सभी यहां इंडिया गेट पर 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध के 'स्वर्णिम विजय वर्ष' के अंतर्गत आयोजित 'विजय पर्व' को मनाने के लिए एकत्रित हुए हैं। यह पर्व भारतीय सेनाओं की उस शानदार विजय के उपलक्ष्य में है, जिसने दक्षिण एशिया के इतिहास और भूगोल दोनों को बदल कर रख दिया। 

"यह आयोजन और भी भव्य और दिव्य रूप में करने का निर्णय हुआ था, मगर देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत के असामयिक निधन के बाद इसे सादगी के साथ मानने का निर्णय लिया गया है। आज के अवसर मैं उन्हें भी स्मरण करते हुए अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं। आज के दिन मैं भारतीय सेना के हर उस सैनिक के शौर्य, पराक्रम और बलिदान को नमन करता हूं, जिनकी वजह से 1971 के युद्ध मे भारत ने विजय हासिल की।" राजनाथ सिंह ने जनरल बिपिन रावत को याद करते हुए कहा "आज मुझे जनरल बिपिन रावत की कमी काफी खल रही है।" 

"यह देश उन सभी वीरों के त्याग और बलिदान का सदैव ऋणी रहेगा। आप सभी शायद मार्टिन लूथर किंग जूनियर के उस कथन से अवगत होंगे, जिसमें उन्होंने कहा था, कि 'Injustice anywhere is a threat to justice everywhere' यानि किसी भी जगह अगर अन्याय हो रहा है तो वो दूसरी जगह व्याप्त न्याय के लिए भी खतरा पैदा करता है।"

"भारतीय सेनाओं ने 1971 में उसके मंसूबों को नाकाम किया और अब आतंकवाद को भी जड़ से ख़त्म करने की दिशा में काम चल रहा है। हम प्रत्यक्ष युद्द में जीत दर्ज कर चुके हैं, परोक्ष युद्ध में भी विजय हमारी ही होगी। ये पर्व देश के सेनाओं के प्रति हर भारतीय के लिए सम्मान का पर्व है।"

"कभी-कभी मैं सोचता हूं कि हमारे बंगाली बहनों और भाइयों का कसूर आखिर क्या था? बस यहीं कि वे अपने अधिकारों की मांग कर रहे थे? अपनी कला, संस्कृति और भाषा के संरक्षण की मांग कर रहे थे? वह राजनीति और शासन में अपने उचित प्रतिनिधित्व की बात कर रहे थे? हमारे बंगाली बहनों और भाइयों पर होने वाला अन्याय और अत्याचार किसी न किसी रूप में संपूर्ण मानवता के लिए खतरा था।" 

ऐसे में पूर्वी पाकिस्तान की जनता को उस अन्याय और शोषण से मुक्ति दिलाना हमारा राजधर्म भी था, राष्ट्रधर्म भी था और सैन्यधर्म भी था। यह युद्ध हमारी नैतिकता, हमारी लोकतांत्रिक परम्पराओं और न्यायपूर्ण व्यवहार का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। ऐसा इतिहास में कम ही देखने को मिलेगा कि कोई देश किसी दूसरे देश को युद्ध में हराने के बाद, उसपर अपना प्रभुत्व न जताए बल्कि वहां के राजनीतिक प्रतिनिधि को सत्ता सौंप दे।

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Published December 12th, 2021 at 15:11 IST

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