Updated November 3rd, 2018 at 20:05 IST
राम मंदिर पर हो जनमत संग्रह - प्रकाश अंबेडकर
प्रकाश अंबेडकर ने रिपब्लिक टीवी से बात करते हुए कहा की, मैं विवादित जमीन पर राम मंदिर के निर्माण का विरोध करता हूं,
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राम मंदिर पर जारी सियासत खत्म होने के नाम नहीं ले रही हैं। मंदिर सियासत की होड़ में नया नाम हैं प्रकाश अंबेडकर। भारिप बहुजन महासंघ के अध्यक्ष प्रकाश अंबेडकर ने रिपब्लिक टीवी से बात करते हुए कहा कि, ''मैं विवादित जमीन पर राम मंदिर के निर्माण का विरोध करता हूं, क्योंकि, जब संविधान बना था तब वादा किया गया था कि, सभी साथ रहेंगें, किसी पर भी कुछ भी थोपा नहीं जाएगा। हमारे देश में सांस्कृतिक मतभेद हैं जिसका हमें सम्मान करना चाहिए''.
1967 में जब गोवा को महाराष्ट्र में विलीन करनी की मांग जोर पकड़ रही थी तब जनमत संग्रह लिया गया और गोवा के लोगों ने तय की किया वह केंद्र शासित प्रदेश में रहेंगें। उसी तरह राम मंदिर के मुद्दे पर भी जनमत संग्रह होना चाहिए क्योंकि, जनतंत्र में जनता ही सर्वोच्च हैं और पार्लियामेंट अपनी बात जनता पर ना थोंपे। मैं नहीं जानता की जनमत संग्रह से समस्या का हल होगा या नहीं लेकिन इस मुद्दे का हल निकालने के लिये हर तरह की कोशिश की जानी चाहिए।
प्रकाश अंबेडकर ने आरएसएस और बीजेपी को भी आड़े हाथों लिया और कहा कि, जब भी चुनाव करीब आता हैं तो यह लोग राम मंदिर का मुद्दा उठाने लगते हैं। चुनाव करीब हैं बीजेपी के पास दिखाने के लिये कुछ भी नहीं हैं, देश की अर्थव्यवस्था गर्त में जा रही हैं, बैंको का बुरा हाल हैं। प्रकाश अंबेडकर ने शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे पर भी निशाना साधते हुए कहा कि, वो दो मुंहे सांप की तरह हैं, उनका कौन सा चेहरा सही हैं ये पहचान पाना बहुत मुश्किल हैं ।
गौरतलब हैं कि, हाल ही में प्रकाश अंबेडकर की पार्टी भारिप बहुजन महासंघ ने ने असदउद्दीन की पार्टी एमआयएम से हाथ मिलाया हैं। दोनों ही नेताओं ने आगामी लोकसभा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव साथ लडने का ऐलान किया हैं। ओवैसी का राम मंदिर विरोध तो जगजाहिर हैं लेकिन प्रकाश अंबेडकर का मुखर होकर मंदिर का विरोध करना कई लोगों को अखर रहा हैं। इन दोनों की नई दोस्ती पर चुटकी लेते हुए हाल ही में उद्धव ठाकरे ने कहा था कि, जब से प्रकाश ने असदउद्दीन के साथ निकाह किया हैं तभी से वो एमआयएम की ज़ुबान बोलने लगे हैं।
पिछले एक हफ्ते में पहले राम मंदिर पर अध्यादेश की मांग, फिर संघ की विवादित जमीन अधिग्रहण करने की मांग, इसके बाद राकेश सिन्हा का राम मंदिर के मुद्दे पर प्रायवेट मेंबर बिल लाने का प्रस्ताव और सबसे अंत में ज़रुरत पड़ने पर दुबारा चलो अध्योधा मुहिम की शुरुआत करने के संघ के संकेत ने पहले ही इस पुरे विवाद की आग में घी लाडने का काम किया था और अब प्रकाश अंबेडकर का जनमत संग्रह कराने की मांग इस पूरे विवाद को नया रुप जरुर दे सकती है।
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Published November 3rd, 2018 at 20:03 IST
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