Advertisement

Updated June 3rd, 2023 at 17:33 IST

...तो नहीं होता ओडिशा ट्रेन हादसा? क्या है Kavach System, कैसे करते हैं काम; विपक्ष बार बार कर रहा इसकी बात

Balasore Train Accident: ओडिशा में हुए रेल हादसे को कुछ विपक्षी दलों ने राजनीतिक तूल देना शुरू कर दिया है। कवच सिस्टम (Kavach System) का जिक्र करते हुए विपक्ष सरकार को घेरने में लग चुका है।

Reported by: Dalchand Kumar
Balasore Train Accident (Image: PTI)
Balasore Train Accident (Image: PTI) | Image:self
Advertisement

Odisha Train Accident: ओडिशा (Odisha) के बालासोर जिले में बेंगलुरू-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस, शालीमार चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी की भिड़ंत में कम से कम 261 यात्रियों की मौत हुई है और इस हादसे में 900 से अधिक यात्री घायल हुए हैं। 261 लोगों की मौत से पूरे देश में गम का माहौल है। हर कोई इस घटना पर अपनी शोक संवेदना व्यक्त कर रहा है, लेकिन देश में राजनीतिक सुर भी उठने लगे हैं। दुख की इस घड़ी में कुछ विपक्षी दलों ने मामले को राजनीतिक तूल देना शुरू कर दिया है। इस बीच एक तकनीक की चर्चा की जा रही है, जिसके बहाने पूरा विपक्ष सरकार को घेरने में लग चुका है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एंटी कोलिशन डिवाइस का जिक्र करते हुए कहा कि अगर वह होता तो यह हादसा नहीं होता। इसके अलावा राजद जैसे कई दलों ने 'कवच प्रणाली' के बहाने सरकार पर सवाल उठाए हैं।

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अपने 9 साल के कार्यकाल में रेलवे पर जबरदस्त फोकस किया है। वंदे भारत की बात हो, रेलवे स्टेशनों को आधुनिकीकरण की बात हो, ट्रेनों के अंदर विशेष सुविधाएं हों, या ट्रेनों में यात्रियों के सुरक्षित सफर की बात रही हो, केंद्र की मोदी सरकार ने इस दिशा में कई बड़े कदम उठाते हुए रेलवे में बहुत सारे बदलाव किए हैं। ट्रेनों को हादसों के बचाने के लिए भी रेलवे कई तकनीकों पर काम कर रहा है, जिनमें'कवच' प्रणाली जैसी तकनीक शामिल है। हालांकि ये तकनीक क्या है और इन तकनीकों पर सरकार ने कितना काम किया है, आपको इसके बारे में विस्तार से समझाते हैं।

क्या है कवच प्रणाली?

जानकारी के मुताबिक, कवच एक स्वचालित सुरक्षा प्रणाली सिस्टम है। भारत में ट्रेन हादसों को कम करने के लिए इसे डिजाइन किया गया है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि Anti-Collision System स्वदेशी रूप से निर्मित है और SIL4 से प्रमाणित है। कवच प्रणाली गलती की संभावनाओं को 10,000 साल में एक के मार्जिन तक कम कर देती है। रेलवे अपने नेटवर्क में 'कवच' प्रणाली उपलब्ध कराने की प्रक्रिया में है, ताकि रेलगाड़ियों के टकराने से होने वाले हादसों को रोका जा सके। 2012 से रेलवे ट्रेनों को हादसों से बचाने के लिए ट्रेन कोलिशन अवॉइडेंस सिस्टम (TCAS) पर काम कर रहा है। टीसीएएस के नाम को बदलकर बाद में 'कवच' रखा गया था।

यह भी पढ़ें: लोहे की चादर काट लोगों को निकाला गया; चश्‍मदीद की जुबानी, बालासोर हादसे की दिल दहला देने वाली कहानी

कवच सिस्टम कैसे काम करता है? 

यह इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) डिवाइस का एक सेट है, जो लोकोमोटिव में सिग्नलिंग सिस्टम के साथ-साथ ट्रैक में स्थापित होता है। रेलवे 2016 से कवच के लिए जमीनी परीक्षण कर रहा था। बेहतर तकनीक के हिस्से के रूप में रेडियो फ्रीक्वेंसी उपकरण रेल पटरियों पर लगाए जाते हैं, रेलवे पटरियों पर सिग्नलिंग डिवाइस और ट्रेन मोटर वास्तविक समय में मैसेजों को लगातार कम्युनिकेट करता है। यह दिखाने के लिए कि जिस ट्रैक पर ट्रेन चल रही है, वह बाधाओं से मुक्त है। 

इसे ऐसे समझिए कि जब कोई ट्रेन रेलवे सिग्नल को जंप कर देती है तो कवच सिस्टम एक्टिव होता है और एक खतरे का मैसेज देता है। यही नहीं, जब एक ही पटरी पर दो ट्रेनें आ रही होती हैं, तो ये कवच सिस्टम दूसरी ट्रेन को मैसेज भेजता है। जिस स्थिति में लोको ऑपरेटर ट्रेन की गति को नियंत्रित करने में विफल रहता है, तो कवच ऑटोमैटिक ब्रेक लगाकर गति को नियंत्रित करता है। यात्री ट्रेनों पर पहला फील्ड प्रयोग फरवरी 2016 में शुरू हुआ और निष्कर्षों के आधार पर कवच के प्रारंभिक मानकों को मई 2017 में अंतिम रूप दिया गया।

यह भी पढ़ें: Balasore Train Accident: कैसे एक ही जगह पर एक साथ 3 ट्रेनें टकरा गईं? ये है हादसे की पूरी कहानी

Advertisement

Published June 3rd, 2023 at 16:12 IST

आपकी आवाज. अब डायरेक्ट.

अपने विचार हमें भेजें, हम उन्हें प्रकाशित करेंगे। यह खंड मॉडरेट किया गया है।

Advertisement

न्यूज़रूम से लेटेस्ट

10 दिन पहलेे
10 दिन पहलेे
15 दिन पहलेे
Mukhtar Ansari
42 मिनट पहलेे
Advertisement
Advertisement
Advertisement
Whatsapp logo