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आज जैश और आतंक के अजगर पर होगी 'ग्लोबल स्ट्राइक', चीन के रुख पर सस्पेंस बरकरार
आज UNSC यानी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद पर पूरे भारत की निगाहें लगी हैं, क्योंकि भारत के नंबर 1 दुश्मन मसूद अज़हर को लेकर सुरक्षा परिषद में कोई बड़ा फैसला हो सकता है। सुरक्षा परिषद के सामने मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी घोषित करने का प्रस्ताव है।
इस प्रस्ताव पर भारत को अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस का समर्थन हासिल है, लेकिन चीन के रवैये पर अब भी सस्पेंस बरकरार है। हालांकि भारत की तेज़ तर्रार कूटनीति के आगे चीन के भी सुर कुछ बदले बदले से नज़र आ रहे हैं और आतंकवाद के मुद्दे पर वो अकेला नहीं पड़ना चाहता।
इन सबके बीच पाकिस्तान से दोस्ती निभाने के नाम पर चीन एक बार फिर इस प्रस्ताव पर अड़ंगा लगा सकता है। इसलिए आज हम इसी सवाल का जवाब जानने की कोशिश करेंगे कि आखिर चीन का इलाज क्या है और अगर आज चीन आतंक का विरोध नहीं करता है तो क्या पाकिस्तान की तर्ज पर चीन का भी बहिष्कार होना चाहिए।
चीन ने कब कब लगाया अड़ंगा ?
- मार्च 2016 में चीन ने अड़ंगा लगाया
- अक्टूबर 2016 में भारत की कोशिशों को रोका
- 2017 में चीन ने मसूद का समर्थन किया
पुलवामा हमले के बाद से आतंकी मसूद अजहर के फन कतरने की तैयारी शुरू हो गई है। पाकिस्तान को हर मोर्चे पर अलग थलग किया जा रहा है। आतंक को पालने वाले पाकिस्तान के खिलाफ पूरी दुनिया एकजुट है।
कौन है मसूद अजहर?
- भारत का दुश्मन नंबर-1
- जैश-ए-मोहम्मद का सरगना
- 1994 में कश्मीर में आतंकी हमला
- भारतीय संसद पर 2001 में हमला
- उरी और पठानकोट में आतंकी हमला
- पुलवामा में CRPF काफिले पर हमला
यूएन में मसूद अज़हर के खिलाफ तीन से ज्यादा बार प्रस्ताव आ चुके हैं लेकिन आतंकी को चीन हमेशा बचाता आया है। इस बार भी चीन ने प्रस्ताव आने से पहले एक बार फिर रोना रोया है। चीन ने कहा है कि मसूद अजहर के आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद से रिश्ते के कोई सबूत नहीं हैं।
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अगर चीन ने वीटो पावर का इस्तेमाल कर आतंकी मसूद अजहर को बचाता है तो चीन का असली चेहरा दुनिया के सामने फिर आ जाएगा।