Updated November 13th, 2019 at 21:01 IST
महाराष्ट्र: सरकार गठन से पहले शिवसेना के साथ ‘जटिल मुद्दों’ पर स्पष्टता चाहती है कांग्रेस
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक सरकार गठन को लेकर साझा न्यूनतम कार्यक्रम तैयार करने के साथ उन मुद्दों को लेकर भी कोई न कोई रास्ता निकाला जाएगा
Advertisement
महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ सरकार गठन को लेकर कांग्रेस ने भले ही सैद्धांतिक सहमति दे दी है, लेकिन वह समान नागरिक संहिता, उग्र राष्ट्रवाद और मराठी मानुष जैसे कुछ जटिल मुद्दों पर उद्धव ठाकरे की पार्टी के रुख को लेकर स्पष्टता चाहती है।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक सरकार गठन को लेकर साझा न्यूनतम कार्यक्रम तैयार करने के साथ उन मुद्दों को लेकर भी कोई न कोई रास्ता निकाला जाएगा जो कांग्रेस की विचारधारा से पूरी तरह मेल नहीं खाते हैं।
देश की मुख्य विपक्षी पार्टी के नेताओं का यह भी कहना है कि वे सरकार बनाने के लिए किसी जल्दबाजी में नहीं हैं और राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में अपने सियासी समीकरणों को ध्यान में रखकर ही फूंक-फूंकर कदम उठा रही है।
सरकार गठन की कवायद में विलंब से जुड़े आरोप पर कांग्रेस के एक नेता ने कहा, ‘‘अगर किसी तरह का कोई विलंब हुआ है तो उसके लिए कांग्रेस जिम्मेदार नहीं है। शिवेसना की ओर से समर्थन का प्रस्ताव सोमवार दोपहर आया। इसके कुछ घंटे में ही समर्थन का फैसला कर लेना कैसे संभव है जब दोनों पार्टियों में विचारधारा के स्तर पर काफी विषमता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अब कांग्रेस ने शिवसेना के साथ सरकार बनाने के लिए कदम बढ़ा लिया है, लेकिन हम किसी जल्दबाजी में नहीं है। साझा न्यूनतम कार्यक्रम बनेगा तथा कुछ जटिल मुद्दों जैसे समान नागरिक संहिता, उग्र राष्ट्रवाद और मराठी मानुष जैसे मुद्दों पर स्पष्टता भी चाहेंगे। उम्मीद है कि अगले कुछ दिनों में सरकार गठन का मार्ग पूरी तरह प्रश्स्त हो जाएगा।’’
उधर, कांग्रेस महासचिव अविनाश पांडे ने बुधवार को मुंबई में कहा कि कांग्रेस न्यूनतम साझा कार्यक्रम के आधार पर तथा अपने मूल सिद्धांतों व मूल्यों को बनाए रखते हुए महाराष्ट्र में शिवसेना व राकांपा के साथ सरकार बनाने में अपनी मुख्य भूमिका निभाएगी।
गौरतलब है कि शिवसेना देश में समान नागरिक संहिता की मुखर समर्थक रही है, जबकि कांग्रेस का रुख इसके विपरीत रहा है। शिवसेना उग्र राष्ट्रवाद एवं प्रखर हिंदुत्वादी रुख के लिए जानी जाती है तो कांग्रेस हमेशा से सभी धर्मों एवं वर्गों को साथ लेकर चलने की बात करती आई है। शिवसेना महाराष्ट्र में मराठी अस्मिता की बड़ी पैरोकार मानी जाती है तो कांग्रेस देश के सभी हिस्सों को समान दृष्टि से देखने की बात करती रही है।
विचारधारा के स्तर पर इस विषमता के बारे में पूछे जाने पर महाराष्ट्र कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘अयोध्या के मामले को लेकर दोनों पार्टियों के रुख में अंतर था, लेकिन अब न्यायालय ने राम मंदिर का रास्ता साफ कर दिया। ऐसे में यह मुद्दा खत्म है। कुछ दूसरे मुद्दे हैं जिन पर अपनी विचारधारा से समझौता किए बिना हम रास्ता निकाल लेंगे।’’
कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने शिवसेना के साथ सरकार गठन के लिए साझा न्यूनतम कार्यक्रम तय करने के मकसद से एक संयुक्त समिति भी बनाई है जिसमें राज्य के दोनों पार्टियों के वरिष्ठ नेता शामिल हैं।
दरअसल, कांग्रेस नेताओं अहमद पटेल, के सी वेणुगोपाल और मल्लिकार्जुन खड़गे की राकांपा प्रमुख शरद पवार के साथ बैठक हुई थी जिसमें शिवसेना के साथ सरकार गठन के लिए ‘न्यूनतम साझा कार्यक्रम’ (सीएमपी) तैयार करने पर सहमति बनी थी। बाद में उद्धव ठाकरे और अहमद पटेल की मुलाकात भी हुई।
इस बीच, पिछले कुछ दिनों से राजस्थान के एक रिजॉर्ट में ठहरे कांग्रेस के सभी 44 विधायक महाराष्ट्र पहुंच गए हैं।
Advertisement
Published November 13th, 2019 at 21:01 IST
आपकी आवाज. अब डायरेक्ट.
अपने विचार हमें भेजें, हम उन्हें प्रकाशित करेंगे। यह खंड मॉडरेट किया गया है।