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Updated March 6th, 2020 at 20:23 IST

दिल्ली हिंसा के मामलों की सुनवाई टालना सही नहीं- सुप्रीम कोर्ट

चीफ जस्टिस एस. ए. बोबड़े ने  कहा कि  मामले को 13 अप्रैल तक सुनवाई टालने का हाईकोर्ट का आदेश सही नहीं था।

Reported by: Akhilesh Kumar Rai
| Image:self
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दिल्ली हिंसा में कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर और बाकी बीजेपी नेताओं के कथित भड़काऊ बयानों के   खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को दिल्ली हाई कोर्ट जाने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट से कहा है कि  शुक्रवार को इन याचिकाओं पर सुनवाई करे।

 चीफ जस्टिस एस. ए. बोबड़े ने  कहा कि  मामले को 13 अप्रैल तक सुनवाई टालने का हाईकोर्ट का आदेश सही नहीं था।
 
सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि हाई कोर्ट शांति बहाली के लिए भी ज़रूरी कदम उठाए, साथ ही  दोनों पक्ष हाई कोर्ट को उन लोगों के नाम सुझाएं जो इसमें मदद कर सकते हैं।

सुनवाई के दौरान जस्टिस बी आर. गवई ने पूछा कि क्या याचिकाकर्ता हर्ष मंदर ने सुप्रीम कोर्ट के बारे में कुछ विवादित बयान दिया है ? 
इस सवाल पर सॉलिसिटर जनरल ने  हर्ष मंदर के विवादित बयान के एक वीडियो क्लिप के बारे में अदालत को बताया।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हर्ष मंदर ने जामिया में अपने भाषण में कहा कि हमें सुप्रीम कोर्ट का ट्रैक रिकॉर्ड पता है लेकिन फिर भी हमें वहां जाना होगा। वहां इंसाफ की उम्मीद नहीं है और असली इंसाफ सड़कों पर ही होगा।
 सॉलिसिटर जनरल की दलील पर हर्ष मन्दर की वकील करूणा नंदी एतराज जताते हुए  उन्हे भी सुनने का आग्रह किया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट नाराजगी जताते हुए उन्हें सुनने से इन्कार कर दिया... मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि पहले हर्ष  मन्दर  भाषण को लेकर अपनी स्थिति स्पस्ट करे।
  इसके बारे में आश्वस्त होने पर ही कोर्ट उन्हें सुनेगा।
  
कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल को आदेश दिया कि  हर्ष मन्दर पर लगे आरोपों को लेकर हलफनामा दाखिल करें और कोर्ट ने हर्ष मंदर से भी शुक्रवार तक अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया।

यही नही मुख्य न्यायाधीश ने सॉलिसिटर जनरल  से पूछा  कि आपने भड़काऊ भाषण के मामले में  दिल्ली HC में कहा था कि माहौल FIR के लिए उपयुक्त नहीं है। क्या अब माहौल में FIR के सही  है। सॉलिसिटर जनरल ने  कहा कि भड़काऊ भाषण दोनो तरफ के लोगों की ओर से हुए है। ऐसे माहौल में कुछ चुनींदा मामलो पर FIR नहीं हो सकती।

सॉलिसिटर जनरल का कहना था कि हर्ष मंदर  दिल्ली हाईकोर्ट में भी सिर्फ एक तबके के नेताओं के खिलाफ FIR की जल्दबाज़ी में थे। पुलिस ने सोच कर फैसला लिया है कि अभी शांति बहाली पर ज़ोर दें। अभी बयानों के लिए कार्रवाई का सही माहौल नहीं है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कभी कार्रवाई नहीं होगी। 

तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि दिल्ली पुलिस दंगों के मामले में अबतक 468 एफआईआर दर्ज कर चुकी है।

दूसरी तरफ याचिककर्ता के वकील कॉलिन गोंसालवेज ने आरोप लगाया कि डीसीपी की मौजूदगी में कपिल मिश्रा ने भड़काऊ बयान दिए। कपिल मिश्रा और अनुराग ठाकुर ने सिर्फ भड़काऊ बयान ही नहीं दिए बल्कि लोगों को हिंसा के लिए इकट्ठा किया।

याचिकाकर्ता के वकील कॉलिन गोंसाल्वेज ने आरोप लगाया कि भड़काऊ बयान देने वाले बीजेपी के नेताओं  को अगर गिरफ्तार किया गया होता तो हिंसा नहीं होती। इस सवाल पर मुख्य न्यायाधीश ने कॉलिन से कहा कि  हमें दंगों का अनुभव है आपका ये बयान कि किसी को गिरफ्तार करने से हिंसा रुकेगी  मुंबई हिंसा में हमने देखा है मुंबई में शाखा प्रमुख को गिरफ्तार किया गया तो हिंसा भडकी
फिलहाल हर्ष मंदर के खिलाफ  आरोप पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करेगा । दंगों से जुड़े  बाकी मामलों को  हाई कोर्ट भेज दिया गया है जहां शुक्रवार को सुनवाई होगी।

 

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Published March 4th, 2020 at 20:50 IST

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