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Updated July 14th, 2019 at 19:20 IST

Chandrayaan 2: ऊंची उड़ान भरने को भारत तैयार, रात 02.51 पर लॉन्चिंग

चंद्रयान-2 भारत का दूसरा चंद्रमा मिशन है जिसमे इस मिशन में भारत पहली बार चंद्रमा की उत्तरी सतह पर 'लुनर रोवर' उतारेगा ।

Reported by: Amit Bajpayee
PC-Twitter/@isro
PC-Twitter/@isro | Image:self
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अतंरिक्ष की दुनिया में एक और उपलब्धि की ओर कदम बढ़ा चुका है। अपने दूसरे ऐम्बिशस मिशन चंद्रयान-2  के साथ भारत अंतरिक्ष में लंबी छलांग लगाने को तैयार है। इसरो आज रात 2 बजकर 51 मिनट पर चंद्रयान-2 को लॉन्च करेगा। लॉन्च के बाद अगले 16 दिनों में चंद्रयान-2 पृथ्वी के चारों तरफ 5 बार ऑर्बिट बदलेगा। इसके बाद 6 सितंबर को चंद्रयान-2 की चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास लैंडिंग होगी। मिशन के मुख्य उद्देश्यों में चंद्रमा पर पानी की मात्रा का अनुमान लगाना, उसकी जमीन और उसमें मौजूद खनिजों, रसायनों का अध्ययन करना है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) 15 जुलाई को होने वाली चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग की तैयारी में जुटा है।  चंद्रयान-2 भारत का दूसरा चंद्रमा मिशन है जिसमे इस मिशन में भारत पहली बार चंद्रमा की उत्तरी सतह पर 'लुनर रोवर' उतारेगा | लुनर रोवर को कानपुर आईआईटी ने दो साल की कड़ी मेहनत के साथ बनाया है | 

दरअसल, IIT कानपुर द्वारा निर्मित 'लुनर रोवर' यानी मानवरहित चंद्रयान को चंद्रमा पर भेजा जाएगा, जो चंद्रमा की सतह के कई रहस्यों से पर्दा उठाएगा । यह पहली बार है कि मानवरहित चंद्रयान भारत की ओर से चंद्रमा की उत्तरी सतह पर लैंड करेगा, जो पूरी दुनिया के लिए अभी अछूता है | इस मॉडल में तीन अहम मॉड्यूल हैं. ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर। आईआईटी कानपुर ने इसके मोशन प्लैनिंग सिस्टम पर काम किया है। चंद्रयान-2 मिशन के तहत यह चंद्रयान चांद पर उतरते ही मोशन प्लैनिंग का काम शुरू कर देगा। इसके अलावा यान के संचालन में ज्यादा खर्च न हो इसके लिए भी आईआईटी ने इसपर खासा काम किया है।

 'लूनर रोवर' की खासियत 

  • 15 जुलाई से चंद्रयान मिशन-2 का आगाज करेगा भारत.
  • IIT कानपुर द्वारा निर्मित 'लुनर रोवर' यानी मानवरहित चंद्रयान को चंद्रमा पर भेजा जाएगा।
  • यह चंद्रयान चंद्रमा से 3D इमेज इसरो को भेजेगा।
  • यह पहला मौका है, जब चंद्रमा के उत्तरी हिस्से में किसी देश द्वारा कोई चंद्रयान उतारा जा रहा है।
  • इसको लेकर पूरी दुनिया की निगाहें भारत पर टिकी हुई हैं।
  • IIT कानपुर द्वारा निर्मित 'लुनर रोवर' को दो साल की कड़ी मेहनत के बाद तैयार किया जा सका है।
  • इसको तैयार करने में लगभग 50 लाख रुपये की लागत आई है।
  • इस चंद्रयान की मुख्य खासियत यह है कि यह मोशन प्लैनिंग है।
  • मोशन प्लैनिंग से तात्पर्य यह है कि यह चंद्रयान चंद्रमा की सतह पर कैसे, कब और कहा जाएगा।
  • 'लुनर रोवर' में कम एनर्जी खर्च होने वाला सिस्टम डेवेलप किया गया है।

चंद्रयान-2 का मकसद  - Header 

- चंद्रमा की सतह से जुड़ी जानकारियां 
- पानी के प्रसार और मात्रा का अध्ययन 
- चंद्रमा के मौसम का अध्ययन करेगा 
- खनिजों, रासायनिक तत्‍वों का पता लगाएगा  
- चंद्रमा के बाहरी वातावरण का अध्ययन 


किसका क्या काम ?  

1. ऑर्बिटर -
चांद की सतह का निरीक्षण 
खनिजों का पता लगाना 


2. लैंडर 
चंद्रमा की झीलों को मापेगा 
लूनर क्रस्ट में खुदाई करेगा 

3. रोवर
चंद्रमा की सतह पर तस्वीरें लेगा 
चांद की मिट्टी का रासायनिक विश्लेषण 

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Published July 14th, 2019 at 19:20 IST

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