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Updated October 1st, 2018 at 18:17 IST

फेयरवेल भाषण में बोले CJI दीपक मिश्रा, मैं लोगों को इतिहास से नहीं, उनकी गतिविधियों से जज करता हूं

इससे पहले उन्होंने कहा कि न्याय का मानवीय चेहरा होना चाहिए और भारतीय न्यायतंत्र दुनिया में सबसे मजबूत संस्था है.

Reported by: Neeraj Chouhan
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Credit- ANI | Image:self
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प्रधान न्यायधीश दीपक मिश्रा  (Justice Dipak Misra)  का सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अंतिम कार्यदिवस था. उन्होंने यहां अपने फेयरवेल स्पीच में कहा कि इतिहास कई बार दयालु या निष्ठुर हो सकता है. मैं लोगों को उनके इतिहास के आधार पर नहीं बल्कि उनकी गतिविधियों, नजरिए से आंकता हूं.

इससे पहले उन्होंने कहा कि न्याय का मानवीय चेहरा होना चाहिए और भारतीय न्यायतंत्र दुनिया में सबसे मजबूत संस्था है. उन्होंने आगे युवा वकीलों को संबोधित करते हुए कहा कि युवा वकील हमारी पूंजी हैं और उनमें न्यायशास्त्र विकसित करने की क्षमता है. 

दीपक मिश्रा ने आगे कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट बार एससोशियन एक जज को जमीनी वास्तविकता के साथ को जोड़ता है, तो यह एक मजबूत पुल है. इसका मतलब यह नहीं है कि न्यायाधीश वास्तविकता से अवगत नहीं हैं, लेकिन मैं कनेक्ट करने के लिए आवश्यक पुल की बात कर रहा हूं. यह हमें संबंधित करने के लिए जोड़ता है और यह मायने रखता है. 

 दूसरी तरफ भावी प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने निवर्तमान प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि उनका नागरिक स्वतंत्रता में बड़ा योगदान है. 

न्यायाधीश गोगोई ने कहा, शीर्ष अदालत के पास प्रतिबद्ध न्यायाधीश हैं और वे प्रतिबद्ध रहेंगे. न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा एक विशिष्ट न्यायाधीश हैं.  अगर हम अपने संवैधानिक आदर्शों के प्रति सच्चे बने रहने के प्रयास में विफल रहते हैं तो हम एक-दूसरे की हत्या और एक-दूसरे से नफरत करते रहेंगे.

न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा, हम ऐसे वक्त में रह रहे हैं जब हमें क्या खाना चाहिए या क्या पहनना चाहिए, यह सब हमारी निजी जिंदगी की छोटी-मोटी बातें नहीं रह गई हैं. 

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Published October 1st, 2018 at 18:17 IST

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