Updated September 13th, 2021 at 13:06 IST
Hindi Diwas: 14 सिंतबर को ही क्यों मनाया जाता है हिंदी दिवस? इन साहित्यकारों की वजह से बदला हिन्दी का स्वरुप
14 सितंबर (14 September) को हर साल भारत में हिंदी दिवस (Hindi Diwas) मनाया जाता है और इस दिन हिंदी न बोलने वाले लोग भी लोगों हिंदी को खूब याद करते हैं।
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हिंदी (Hindi) सिर्फ भारत में नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में बोली जाती है, यही वजह है कि हिंदी दुनिया में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली चौथी भाषा (Hindi Language) है और भारत में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। 14 सितंबर (14 September) को हर साल भारत में हिंदी दिवस (Hindi Diwas) मनाया जाता है और इस दिन हिंदी न बोलने वाले लोग भी लोगों हिंदी को खूब याद करते हैं। ये दिन देश में हिंदी को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है। हालांकि 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस (World Hindi Diwas) के रूप में मनाया जाता है, इसतरह से भारत में दो बार हिंदी दिवस मनाया जाता है।
आपको बता दें कि संविधान सभा (Constitution Assembly) ने 14 सितंबर, 1949 को हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया था। इसके बाद इस ऐतिहासिक दिन को याद रखने के लिए देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की सरकार 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। हालांकि, पहली बार आधिकारिक रूप से पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया था।
जानें क्यों मनाया जाता है हिंदी दिवस
बता दें कि हिंदी का बढ़ावा देने के लिए देश में हिंदी दिवस मनाया जाता है। इसके साथ ही लोगों को इस बात से भी अवगत कराया जाता है कि जबतक वो हिंदी का प्रयोग नहीं करेंगे तब तक इसका विकास नहीं हो पाएगा। इसी उद्देश्य के साथ के सभी सरकारी कार्यालयों को भी हिंदी का प्रयोग करने के लिए कहा जाता है। इस दिन लोगों को प्रेरित करने के लिए हिंदी भाषा अवॉर्ड भी दिया जाता है। इस ऑवार्ड को देश के राष्ट्रपति देते हैं।
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इन साहित्यकारों ने हिंदी को बढ़ाने का किया काम
महान साहित्यकार भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (Bharatendu Harishchandra) ने हिंदी को आगे बढ़ाने दिशा में बहुत काम किया है। इसी वजह से उन्हें हिंदी का पितामह भी कहा जाता है। भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने महज 34 वर्ष की आयु में हिंदी को आगे ले जाने की दिशा में काम किया। इसी वजह से उनके समय को हिंदी इतिहास में भारतेंदु युग कहा जाता है।
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वहीं हिंदी प्रसिद्ध साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद (Munshi Premchand) को कौन नहीं जानता होगा। इन्होंने अपने लेखनी से हर किसी को दीवाना बन गया। हिंदी में लिखे हुए इनकी कहानी और साहित्य किताबें आज लोगों के बीच चर्चा में बनी रहती है। इन्होंने हिंदी के क्षेत्र में जो योगदान दिया है उसे भुलाया नहीं जा सकता है।
भारतेंदु हरिश्चन्द, मुंशी प्रेमचंद के अलावा भी कई साहित्यकारों ने हिंदी को आगे बढ़ाने की दिशा में काम किया है, जिसमें जयशंकर प्रसाद, सूर्यकांत त्रिपाठी, महादेवी वर्मा, रामधारी सिंह दिनकर नाम भी शामिल है।
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Published September 13th, 2021 at 13:06 IST
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