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Updated March 30th, 2020 at 15:55 IST

कोरोना बीमारी का भय बीमारी से बड़ी समस्या- सुप्रीम कोर्ट

वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने याचिका में कहा है कि कोरोना के चलते लॉकडाउन होने से हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर अपने परिवार के साथ सैंकडो किलोमीटर पैदल चल रहे हैं

Reported by: Akhilesh Kumar Rai
| Image:self
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कोरोना  लॉकडाउन के बाद दिल्ली समेत दूसरे राज्यों से  पैदल निकले लोगों की समस्याओं को लेकर  सुप्रीमकोर्ट ने केंद्र सरकार से कल तक रिपोर्ट मांगी है। कल इस मामले पर विस्तार से सुनवाई होगी। चीफ जस्टिस एस. ए. बोबड़े और जस्टिस एल. नागेश्वर राव की बेंच ने वीडियोकॉन्फ्रेसिंग के जरिये इस मामले की सुनवाई की। 

याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल कोई आदेश जारी नहीं किया , कोर्ट ने कहा कि  जिस बारे में सरकार कार्यवाई कर रही है उस संबंध में आदेश देकर वह मामले को और नहीं उलझाना चाहते। साथ ही कोर्ट ने ये भी टिप्पणी की कि  कोरोना बीमारी का भय "बीमारी से बड़ी समस्या है"

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता एडवोकेट अलख आलोक श्रीवास्तव ने आरोप लगाया कि सड़कों पर हजारों प्रवासी मजदूर अपने अपने घर जा रहे हैं और सरकार उनके लिए कोई  सुविधा मुहैया नहीं करा रही है।

केन्द्र सरकार की तरफ से दलील देते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ऐसा कोई  सन्देश नहीं जाना चाहिए  कि कोर्ट पलायन की प्रकिया को आसान कर बढ़ावा दे रहा है। तुषार मेहता ने कहा कि  पलायन रुकना चाहिए क्योंकि वायरस के ट्रांसमिशन की स्थिति में दिक्कतें और बढ़ेगी। 

मजदूरों के पलायन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के दो वकीलों ने जनहित याचिका दाखिल की थी, जिसपर कोर्ट ने जल्द सुनवाई की।

वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने याचिका में कहा है कि कोरोना के चलते लॉकडाउन होने से हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर अपने परिवार के साथ सैंकडो किलोमीटर पैदल चल रहे हैं  इनमें बुजुर्ग, बच्चे, महिलाएं और दिव्यांग भी शामिल हैं। 
इन प्रवासी मजदूरों के  पास ना तो रहने की सुविधा है और ना ही खाने पीने व ट्रांसपोर्ट की सुविधा है, 
इसलिए सुप्रीम कोर्ट देश भर में प्रशासन को आदेश दे कि इन लोंगों को हर जगह शेल्टर होम में रखकर सुविधाएं दी जाएं।

दूसरी याचिका सुप्रीम कोर्ट की वकील रश्मि बंसल की तरफ से दाखिल की गई थी। रश्मि बंसल ने अपनी याचिका में मांग की है कि जो भी माइग्रेंट अपने घरों की ओर  जा रहे हो उनको सैनिटाइज किया जाए, डिसिन्फेक्टेड किया जाए इसके बाद उनको जाने की इजाजत दी जाए साथ ही इन मजदूरों की सोशल काउंसलिंग भी  की जाए, साथ ही बड़ी संख्या में निकले इन प्रवासी मजदूरों के लिये खाने , ठहरने और मेडिकल की भी व्यवस्था की जाए।

याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस एस. ए. बोबड़े ने कहा कि हमें इस मामले पर जल्दबाजी में कोई आदेश नहीं देना है, पहले सरकार के जवाब का इंतजार करना चाहिए।

वहीं सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारें स्थिति से निपटने के लिए तमाम कदम उठा रही है। 

बड़ी संख्या में अपने घर जा रहे मजदूरों के लिये मुहैया कराई गई सुविधाओं की जानकारी और कोरोना को लेकर उठाए गए कदमों की कल केन्द्र सरकार की तरफ से कोर्ट को जानकारी दी जाएगी, केन्द्र सरकार के उठाए गए कदमों को देखने के बाद अगर कुछ कमी रह गयी होगी तो कोर्ट केन्द्र सरकार को निर्देश दे सकता है।
 

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Published March 30th, 2020 at 15:55 IST

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