Updated August 20th, 2021 at 10:51 IST
कई आक्रमण झेले, फिर भी नहीं कम हुआ वैभव...सोमनाथ मंदिर की कुछ ऐसी है कहानी; आज PM मोदी देंगे सौगात
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम माने जाने वाला सोमनाथ मंदिर अब और भव्य होगा। इसकी शोभा भी और बढ़ेगी।
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कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण स्वयं चंद्रदेव सोमराज ने किया था, जिसका उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है। अत्यन्त वैभवशाली होने के कारण इतिहास में कई बार इस मंदिर पर आक्रमण हुए तो कई बार यह पुनर्निर्मित भी किया गया। फिलहाल यह मंदिर विश्व प्रसिद्ध धार्मिक और एक पर्यटन स्थल है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम माने जाने वाला सोमनाथ मंदिर अब और भव्य होगा। इसकी शोभा भी और बढ़ेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को सोमनाथ मंदिर के लिए कई अलग अलग परियोजनाओं की शुरुआत करेंगे। जिसके चलते गुजरात में स्थित ये ऐतिहासिक मंदिर एक बार फिर चर्चा में है। ऐसे में आइए जानते हैं मंदिर के उस इतिहास को जिसमें इसके बार-बार बनने और बिगड़ने की कहानी दर्ज है।
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गुजरात के वेरावल बंदरगाह में स्थित है सोमनाथ मंदिर
गुजरात में सौराष्ट्र क्षेत्र के वेरावल बंदरगाह में स्थित सोमनाथ मंदिर अत्यंत प्राचीन और ऐतिहासिक शिव मंदिर है। इसको भारतीय इतिहास और हिन्दुओं के चुनिंदा और महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक माना गया है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसका निर्माण स्वयं चंद्रदेव ने किया था, जिसका उल्लेख ऋग्वेद में स्पष्ट है। सोमनाथ मंदिर हिंदू धर्म के उत्थान-पतन के इतिहास का प्रतीक भी बताया जाता है। इस मंदिर पर कई आक्रमण हुए, लेकिन कोई भी इसके वैभव को खत्म नहीं कर सका।
सोमनाथ मंदिर ने झेले कई आक्रमण
इतिहास में 8वीं सदी में भी सोमनाथ मंदिर की महिमा और कीर्ति दूर-दूर तक फैली थी। कहा जाता है कि अरब यात्री अल बरूनी ने अपने यात्रा वृतान्त में इसका विवरण लिखा था। इसी से आक्रांता महमूद गजनवी मंदिर को लेकर प्रभावित हुआ था और उसने सन 1025 में मंदिर पर हमला किया। गजनवी ने 5,000 साथियों के साथ हमलाकर मंदिर की संपत्ति को लूट ली और उसे तकरीबन नष्ट कर डाला था। इस दौरान मंदिर में पूजा और दर्शन करने वाले, मंदिर की रक्षा करने वाले हजारों निहत्थे लोग मारे गए थे।
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बार-बार मंदिर का पुनर्निर्माण भी हुआ
इतिहास से मिले तथ्य बताते हैं कि गजनवी के हमले के बाद गुजरात के राजा भीम और मालवा के राजा भोज ने मंदिर का पुनर्निर्माण कराया था। सन 1297 में भी जब दिल्ली सल्तनत ने गुजरात पर कब्जा किया था, उस वक्त इसे ध्वस्त कर दिया गया था। मंदिर ने मुगल शासक औरंगजेब की क्रूरता का सामना भी किया। 1706 में औरंगजेब ने इसे फिर से गिरा दिया था। बाद में मंदिर को फिर से हिन्दू राजाओं ने बनवाया। सन 1395 में भी गुजरात के सुल्तान मुजफ्फर शाह ने मंदिर तुड़वा दिया था और सारा चढ़ावा लूट लिया था। इसके बाद भी मंदिर को फिर से संवारा गया। 1412 में मुजफ्फर शाह के बेटे अहमद शाह ने भी अपने पिता का कृत्य दोहराते हुए मंदिर पर आक्रमण किया।
आगे के समय में इसे एक बार फिर से बनवा दिया गया। इस तरह मंदिर के पुनर्निर्माण और आक्रमण का सिलसिला जारी रहा। बार बार हमले, लूटपाट और कत्लेआम के बावजूद इस मंदिर की महिमा को भक्तों के मन से हटाया नहीं जा सका। कभी भी श्रद्धालुओं का भक्तिभाव इस सोमनाथ मंदिर से कम नहीं हुआ। सौराष्ट्र के वेरावल बंदरगाह पर अभी के वक्त जो मंदिर खड़ा है, उसको 1950 में देश के गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने दोबारा बनवाया था। दिसंबर 1955 को भारत के राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने इसे राष्ट्र को समर्पित किया था।
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Published August 20th, 2021 at 10:51 IST
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