Updated September 12th, 2021 at 22:16 IST
Edible Oil Price: खाद्य तेलों की बढ़ते दामों पर सरकार का 'मरहम', घटाई कस्टम ड्यूटी, मिलेगी ये राहत
केंद्र सरकार ने वनस्पति तेलों (Vegetable Oils) की बढ़ती कीमतों पर कस्टम ड्यूटी कम कर दी है। बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए कदम की वजह से 1,100 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
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Edible Oil Price: भारत में सितम्बर से दिसंबर तक एक के बाद एक त्योहार (Festive Season) होते हैं। त्योहारों के शुरू होने से पहले केंद्र सरकार ने वनस्पति तेलों (Vegetable Oils) की बढ़ती कीमतों पर कस्टम ड्यूटी (Custom Duty) कम कर दी है। कंज्यूमर अफेयर्स फूड एंड डिस्ट्रीब्यूशन (Consumer Affairs, Food & Public Distribution) ने पाम, सोयाबीन (Soybean Oil) और सूरजमुखी के तेल (Sunflower Oil) पर टैरिफ दरों को कम (Cooking Oil Custom Duty Reduced) करने का निर्णय लिया है। पीटीआई के अनुसार, बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए कदम की वजह से 1,100 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
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शनिवार को कंज्यूमर अफेयर्स फूड एंड डिस्ट्रीब्यूशन डिपार्टमेंट ने एक बयान में वनस्पति तेलों (Vegetable Oil) के दो प्रकार क्रूड (Crud Oil) और रिफाइंड (Refind Oil) तेलों पर सीमा शुल्क में कमी की घोषणा की है। हालांकि सरकार ने कच्चे पाम तेल पर कृषि उपकर (स्पेशल परपस टैक्स) में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि की है। इस वजह से टैक्स में 17.5% से 20% की वृद्धि हुई है।
वित्त मंत्रालय (Finance Department) की ओर से जारी नोटिस के मुताबिक कच्चे पॉम ऑयल/खजूर का तेल (Palm Oil ) पर आयात कर 10 फीसदी से घटाकर 2.5 फीसदी कर दिया गया है। वहीं कच्चे सोयाबीन तेल और सूरजमुखी तेल पर 7.5 प्रतिशत कर को घटाकर 2.5 प्रतिशत कर दिया गया है। घोषणा के बाद सूरजमुखी तेल की कुल कीमत में 24.75 फीसदी दूसरी तरफ रिफाइंड पॉम और सोयाबीन तेल की कीमतों में 35.75 फीसदी कमी आएगी।
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वित्त मंत्रालय ने आने वाले पर्व-त्योहारों को देखते हुए यह कदम उठाया है। जाहिर है भारत तेल की मांगों से लगभग 60 प्रतिशत ज्यादा आयात करता है। अपने बयान में, वित्त मंत्रालय ने कहा,"खाद्य तेलों की घरेलू कीमतें 2021-22 के वित्तीय सत्र के दौरान बढ़ रहे थे, जो इन्फ्लेशन के साथ-साथ कंज्यूमर के दृष्टिकोण से गंभीर चिंता का कारण है।"
महंगाई पर कंट्रोल करने के लिए वित्त मंत्रालय ने खाद्य तेलों पर शुल्क घटाने का फैसला किया है। लेकिन बताया जा रहा है कि वित्त मंत्रालय द्वारा उठाए गए इस कदम से कई हजार करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा। अनुमान यह भी है कि कस्टम टैक्स में मौजूदा कटौती से 1,100 करोड़ रुपये का नुकसान होगा। इसके अलावा पहले से सीमा शुल्क में की गई कमी की वजह से लगभग 3,500 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। कच्चे खाद्य तेल सोने और पेट्रोलियम के बाद भारत का तीसरा सबसे बड़ा आयात का स्रोत है। एसईए के आंकड़ों के अनुसार नवंबर 2020 से जुलाई 2021 के बीच सब्जी और कच्चे तेल का आयात 98,25,433 टन से गिरकर 96,54,636 टन हो गया।
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Published September 12th, 2021 at 22:16 IST
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