Updated March 7th, 2020 at 15:46 IST
दिल्ली पुलिस के हैडकांस्टेबल सलीम को है मदद की दरकार
सलीम को दंगाइयों ने इतनी बुरी तरह पीटा की उनकी पूरी वर्दी खून में सन गई थी। जिसके बाद हेड कॉन्स्टेबल राजेश ने खून में सने सालिम को जगप्रवेश अस्पताल पहुंचाया ।
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दिल्ली हिंसा में कई लोगों की जान गई, कई लोग गंभीर रूप से घायल भी हो गए। हिंसा में हेड कांस्टेबल रतन लाल की मौत भी हुई। जबकि डीसीपी अमित शर्मा और और एसीपी अनुज को आप सभी जानते ही है। लेकिन इन्हीं सबमे एक नाम ऐसा भी है, जिसके बारे में शायद ही कोई जानता है। वो नाम है, हेड कांस्टेबल सलीम का। सलीम भी उत्तरपूर्वी दिल्ली में हुए दंगो में दंगाइयो के बीच फंस गए थे। लेकिन किस्मत से वो बच गए। एक ओर जहां सलीम इसे अपनी खुशनसीब समझते है, तो वहीं दूसरी ओर अपने ही डिपार्टमेंट की अनदेखी से बेहद दुखी भी है।
सलीम के मुताबिक 24 फरवरी को उनकी ड्यूटी वजीराबाद ट्रेनिंग सेंटर से चाँदबाग लगाई गई थी। सुबह करीब 9 बजे सलीम चाँदबाग पहुँच गए पहले तो सब कुछ ठीक था। लेकिन अचानक लोग उग्र हो गए पत्थरबाज़ी करने लगे जैसे ही सलीम और उसके साथी सिपाहियों ने दंगाइयो को रोकने की कोशिश की तो दंगाइयों ने सलीम को घेर लिया और लाठी डंडो और रॉड से बुरी तरह पीटा। किसी तरह लहूलुहान सलीम अपनी जान बचाकर भजनपुरा पेट्रोल पम्प पहुँचे, तो दंगाई वहां भी पहुंच गए। जैसे तैसे सलीम ने अपनी जान बचाई।
सलीम को दंगाइयों ने इतनी बुरी तरह पीटा की उनकी पूरी वर्दी खून में सन गई थी। जिसके बाद हेड कॉन्स्टेबल राजेश ने खून में सने सालिम को जगप्रवेश अस्पताल पहुंचाया ।
सलीम की खराब हालत को देखते हुए उसे एम्स ट्रांमा सेंटर भेजा गया। सलीम के मुताबिक वहां उनका इलाज ठीक से नही किया गया, जिसके बाद सलीम के बेटे उन्हें लेकर फरीदाबाद अपने घर आ गए और निजी अस्पताल में इलाज शुरू करवाया। इस वक़्त सलीम की हालत ये है कि, वो खुद अपने पैरों पर चल भी नही सकता उन्हें सहारे की ज़रूरत पड़ती है। लेकिन हैरानी की बात तो ये है की इतना सब हो जाने के बावजूद दिल्ली पुलिस के किसी अधिकारी के पास इतना वक़्त नही है, कि वो हेड कॉन्स्टेबल सालिम के घर फरीदाबाद के अनंगपुर गांव जाकर उनसे एक बार मिल ले। अनदेखी का आलम यहीं नही रुका। आप सोचिये इस वक़्त सलीम अपने खुद के खर्चे से अपना इलाज करवा रहे है। जिसकी वजह से सलीम अब तक हजारों रुपये खर्च कर चुके है सलीम की माली हालत भी इतनी अच्छी नही है कि वो लगातर अपना इलाज निजी अस्पताल में करवा सके
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Published March 7th, 2020 at 15:46 IST
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