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Updated March 23rd, 2020 at 21:22 IST

दिल्ली: कोरोना के चलते अदालतों में भी लॉक डाउन

वही दूसरी तरफ देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने भी सिर्फ अति आवश्यक मामलों की सुनवाई का फैसला किया है।

Reported by: Akhilesh Kumar Rai
Delhi High Court, PTI
Delhi High Court, PTI | Image:self
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कोरोना के चलते दिल्ली की अदालतों में भी  लॉकडाउन का आदेश जारी  हो गया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने सर्कुलर जारी करते हुए हाईकोर्ट और निचली अदालतों को 4 अप्रैल तक बंद रखने का आदेश जारी किया है। सर्कुलर के मुताबिक अति आवश्यक मामलों की सुनवाई के लिये रजिस्ट्रार समय तय करेंगे और सुनवाई वीडियोकॉन्फ्रेसिंग के जरिये होगी।

वही दूसरी तरफ देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने भी सिर्फ अति आवश्यक मामलों की सुनवाई का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट मे भी वीडियोकॉन्फ्रेसिंग के जरिये सुनवाई की जाएगी, जिसका आज मुख्य न्यायाधीश की कोर्ट में सफल ट्रायल भी किया गया। 

सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना से बचाव को लेकर कुछ बड़े कदम भी उठाए हैं । मुख्य न्यायाधीश ने  मंगलवार शाम 5 बजे तक वकीलों को  अपने चेंबर सील करने को कहा है। साथ ही मुख्य न्यायाधीश ने हर हफ्ते हालात की समीक्षा करने की भी बात कही है। सुप्रीम कोर्ट में अब अगले आदेश तक बेहद जरूरी मामलों में ही सुनवाई होगी 
ये सुनवाई भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये ही  होगी । किसी को भी अब सुप्रीम कोर्ट में आने की इजाज़त नही दी जाएगी

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एस ए बोबड़े ने कहा कि  हम कई और चीजें प्लान कर रहे है मसलन वकीलों और स्टाफ के लिए जारी प्रोक्सिमिटी कार्ड को कुछ दिनों के लिए स्थगित करना भी शामिल है। इसके अलावा हम ऐसा सिस्टम बना रहे हैं जिससे वकील वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए अपने घर या दफ्तर से ही अदालत में बहस के सकेंगे। इसके पहले ही सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की तरफ से सीजेआई को लेटर लिखकर चार हफ्तों के लिये बंद करने का सुझाव दिया था।

दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना के बढ़ते खतरे की आशंका को देखते हुए  जेलों में कैदियों को चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के  मामले पर सुनवाई की।

सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों  को आदेश दिया है कि कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए राज्य अपनी जेलों में बंद कम सजा वाले कैदियों को पेरोल पर रिहा करने पर विचार करें। कोर्ट ने जेल में कैदियों की भारी  भीड़ को कम करने के लिए सात साल से कम की कैद की सज़ा वाले अपराधों में विचाराधीन या सज़ायाफ्ता कैदियों को परोल पर कम से कम 6 हफ्तों के लिए रिहा करने पर विचार करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक इसके लिए राज्य सरकारें एक हाईपावर कमेटी बनाएंगी जिसमे लॉ सेक्रेटरी और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के चेयरमैन को भी शामिल किया जाएगा । इस कमेटी की सिफारिश पर ही कम सजा वाले कैदियों को पेरोल पर रिहा किया जाएगा।

सुनवाई के दौरान  तिहाड़ जेल के महानिदेशक ने बताया कि तिहाड़ में कैदियों से मिलने वालों और अन्य विजिटर्स के आने पर पाबंदी लगाई गई है।
कैदी इस दौरान सिर्फ टेलीफ़ोन पर अपने परिजनों से बात कर सकते हैं। 

तिहाड़ प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जेल में अस्पताल भी है और सभी चिकित्सा सुविधाओं के अलावा हर शाम योग भी कराया जाता है। तिहाड़ प्रशासन की दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने  ये सुनिश्चित करने को कहा कि हर हाल में  कैदियों में योग अभ्यास बन्द नहीं कराया जाय, साथ ही जेल में कैदियों को मास्क बांटे जाएं।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी तिहाड़ मॉडल को पूरे देश की जेलों को अपनाने का सुझाव दिया। 

कोरोना के प्रकोप से निपटने के लिये मुख्य न्यायाधीश ने कई याचिकाओं पर सुनवाई की 
 
कोरोना वायरस संक्रमण की जांच के लिए देशभर में लेबोरेटेरिज की संख्या बढ़ाए जाने की मांग वाली  जनहित याचिका और धार्मिक स्थलों को बंद किये जाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कोई सीधा आदेश जारी नहीं किया लेकिन इन मांग को पर सरकार को गौर करने को कहा।

इन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बोबड़े के कहा कि कोरोना वायरस को रोकने के सरकार बेहद अच्छा काम कर रही है, और यही नहीं सरकार के आलोचक भी इस बात को कह रहे है कि सरकार ने कोरोना को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए है।

सुप्रीम कोर्ट के इस कदम के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने भी आदेश जारी करते हुए हाईकोर्ट समेत निचली अदालतों में लॉकडाउन का सर्कुलर जारी कर दिया ।
 

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Published March 23rd, 2020 at 17:26 IST

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