Updated March 11th, 2020 at 20:15 IST
NRC-NPR पर दिल्ली विधानसभा का सत्र, बीजेपी ने कहा- 'मत कुरेदो ज़ख्म'
आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पहले ही नागरिकता संशोधन कानून पर अपना विरोध जता चुके हैं।
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दिल्ली विधानसभा के चुनाव हो चुके हैं और अब अरविंद केजरीवाल सरकार काम की जगह राजनीति करने पर ज्यादा ध्यान दे रही है। दरअसल 13 मार्च को दिल्ली की विधानसभा का एक विशेष सत्र बुलाया गया है, जिसमें एनआरसी, एनपीआर और कोरोनावायरस जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी। हालांकि बीजेपी ने इस कदम को ज़ख्म कुरेदने वाला बताया है। आपको बता दें कि देश की राजधानी दिल्ली में पिछले 3 4 महीनों से नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के विरोध के नाम पर साम्प्रदायिक हिंसा तक हो गयी।
क्या है सीएए और एनआरसी पर आम आदमी का रुख?
आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पहले ही नागरिकता संशोधन कानून पर अपना विरोध जता चुके हैं। संसद में भी आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह नागरिकता कानून में संशोधन पर विरोध जताया था। वहीं एनआरसी के मुद्दे पर आम आदमी पार्टी ने जंतर मंतर ओर इकठ्ठे होकर विरोध जताया था। पार्टी ने एनआरसी को उत्तत प्रदेश बिहार के लोगों के खिलाफ बताया था। राज्य सभा सदस्य सिंह ने कहा था कि अगर राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) पूरे भारत में लागू होती है तो देश के अलग अलग हिस्सों में दशकों से रह रहे उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग कहां जाएंगे क्योंकि वह 1971 से पहले अपने स्थानीय निवासी होने को साबित नहीं कर पाएंगे।
एनआरसी पर विशेष सत्र पर बीजेपी ने जताया विरोध
बीजेपी के नेता सरदार आरपी सिंह में ट्वीट करके लिखा,' अरविंद केजरीवाल जी दिल्ली में धीमे धीरे शांति लौट रही है, ऐसे में एनआरसी के नाम पर धानसभा का विशेष सत्र बुलाना दिल्ली के जख्म को कुरेदने जैसा है। वो भी तब जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह साफ कर चुके हैं कि केंद्र सरकार का अभी एनआरसी लाने का कोई इरादा नहीं है।'
एनआरसी पर क्या बोला है केंद्र सरकार ने?
राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर पर केंद्र सरकार की तरफ से लोकसभा में जवाब देते हुए केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा था कि एनआरसी लाने पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
क्या है एनआरसी?
राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) यह बताता है कि कौन भारतीय नागरिक है और कौन नहीं। जिन लोगों के नाम एनआरसी में शामिल नहीं हैं, वह अवैध नागरिक कहलाए जाएंगे। एनआरसी के हिसाब से 25 मार्च 1971 से पहले असम में रह रहे लोगों को भारतीय नागरिक माना गया है।
आपको बता दें कि दिल्ली के उत्तर पूर्वी इलाकों में हुई हिंसा में अब तक 53 मौतें हो चुकी हैं। हिंसा, आगजनी, हत्या जैसे मामलों में अब तक 720 एफआईआर दर्ज हो चुकी है। कुल 2387 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। वहीं आर्म्स एक्ट के मामले में 49 मुकदमे हुए। इलाके में साम्प्रदायिक सौहार्द बनाये रखने के लिए अब तक 283 मीटिंग पीस कमिटी की हो चुकी है।
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Published March 11th, 2020 at 20:15 IST
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