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Updated April 17th, 2020 at 10:05 IST

कोरोना: दिल्ली के प्राइवेट हॉस्पिटल ने प्लाज्मा टेक्नोलॉजी से शुरू किया इलाज, केजरीवाल सरकार को भी मिली इजाजत

दरअसल मानव शरीर में किसी भी बीमारी से सही होने के बाद इम्यून सिस्टम से एंटीबॉडी बन जाता है। अलग-अलग एंटीबॉडी कुछ समय से लेकर जीवनभर प्लाज्मा में बने रहते हैं।

Reported by: Gaurav Srivastav
| Image:self
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राजधानी दिल्ली में कोरोना से संक्रमित मामलों का आंकड़ा 1640 तक पहुंच चुका है। यही नहीं दिल्ली के 60 इलाक़ों को कंटेनमेंट ज़ोन में भी बदल दिया गया है। दुनिया भर में कोविड-19 की वैक्सीन को लेकर तमाम खोज और परीक्षण चल रहे हैं लेकिन वैक्सीन बनने में वक़्त लगेगा। ऐसे में भारत में डॉक्टरों ने प्रायोगिक तौर पर कोरोना का इलाज प्लाज्मा टेक्नोलॉजी से करना शुरू किया है। हालांकि इस तरह के इलाज की अनुमति 'इंडियन कॉउन्सिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ही देता है। 

वही दूसरी तरफ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया कि, 'हमनें प्लाज्मा टेक्नोलॉजी का प्रयोग करने के लिए केंद्र सरकार से इजाजत मांगी थी, जिसकी इजाजत केंद्र सरकार ने दे दी है। अब हमनें प्लाज़्मा टेक्नोलॉजी का ट्रायल शुरू कर दिया है'

क्या है प्लाज्मा टेक्नोलॉजी और ये कैसे काम करती है-

दरअसल मानव शरीर में किसी भी बीमारी से सही होने के बाद इम्यून सिस्टम से एंटीबॉडी बन जाता है। अलग-अलग एंटीबॉडी कुछ समय से लेकर जीवनभर प्लाज्मा में बने रहते हैं। इसे दवा की तरह इस्तेमाल करने के लिए ब्लड से प्लाज्मा को अलग किया जाता है और बाद में एंटीबॉडीज निकाली जाती है। ये एंटीबॉडीज नए मरीज के शरीर में इंजेक्ट की जाती हैं इसे प्लाज्मा डेराइव्ड थैरेपी कहते हैं। ये एंटीबॉडीज शरीर को तब तक रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है, जब तक शरीर खुद इस लायक न बन जाए। कोविड-19 के केस में भी यही किया जाएगा।

मैक्स अस्पताल, साकेत ने शुरू किया प्लाज्मा टेक्नोलॉजी से इलाज

राजधानी दिल्ली के मैक्स अस्पताल, साकेत में कोविड-19 दो मरीजों का इलाज इसी प्लाज्मा टेक्नोलॉजी से किया जा रहा है। इसके लिए डोनर का इंतेज़ाम भी संक्रमित के परिवार ने किया। इस क्लीनिकल ट्रायल पर मैक्स हेल्थकेयर में ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर संदीप बुद्धिराजा ने बताया कि, 'एंटीबॉडीज उसी शख्स के प्लाज्मा से निकाला जाता है जो कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद स्वस्थ हुआ और उसके बाद कम से कम दो टेस्ट नेगेटिव आए हों।'

हालांकि हमने जब उनसे इस प्लाज्मा टेक्नोलॉजी के अनुमति के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि हमें इंडियन 'कॉउन्सिल ऑफ मेडिकल रिसर्च' और 'ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया' के ग्रीन सिग्नल का इंतज़ार है। 

आपको बता दें कि आईएलबीएस (ILBS) के निदेशक एस के सरीन की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय एक समिति ने कोरोना वायरस के गंभीर रूप से बीमार मरीजों के इलाज के लिए इस प्लाज्मा थैरेपी का इस्तेमाल किए जाने का परामर्श दिल्ली सरकार को दिया था। ये एक तरह का क्लीनिक ट्रायल होगा।

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Published April 17th, 2020 at 10:05 IST

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