Updated September 27th, 2019 at 09:20 IST
NASA ने जारी की Chandrayaan-2 की लैंडिंग साइट की तस्वीरें, नहीं खोज पाया विक्रम लैंडर
नासा ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से उस जगह की तस्वीरें जारी कीं हैं, जहां साउथ पोल पर विक्रम की लैंडिंग होनी थी।
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नासा ने भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी के चंद्रयान -2 के विक्रम लैंडर को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने शुक्रवार को चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की लैंडिंग वाली जगह की तस्वीरें जारी की है। जिसमें कहा गया है कि चांद की सतह पर विक्रम लैंडर की हार्ड लैंडिग हुई। नासा ने चंद्रमा की परिक्रमा कर रहे अपने लूनर रिकॉनिस्सेंस ऑर्बिटर को विक्रम लैंडर साइट के ऊपर से गुजारा था। उसके ऑर्बिटर ने कुछ तस्वीरें ली है।
नासा ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से उस जगह की तस्वीरें जारी कीं हैं, जहां साउथ पोल पर विक्रम की लैंडिंग होनी थी। हालांकि, विक्रम कहां गिरा इस बारे में कुछ भी नहीं पता चल पाया है।
नासा द्वारा जारी की गई तस्वीरों से साफ है कि चंद्रमा की सतह पर लैंडर की हार्ड लैंडिंग हुई है। स्पेसक्राफ्ट किस लोकेशन पर लैंड हुआ यह अभी निश्चित तौर पह नहीं कहा जा सकता । जानकारी के अनुसार तस्वीरें केंद्र से 150 किलोमीटर की दूरी से ली गई हैँ। अक्टूबर में लूनर रिकॉनिस्सेंस ऑर्बिटर दोबारा प्रायस करेगा।
गौरतलब है कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 7 सितंबर को तड़के चंद्रमा की सतह पर लैंड करने से कुछ मिनट पहले देश के दूसरे चंद्र मिशन चंद्रयान -2 के विक्रम लैंडर से संपर्क खो दिया था।
लैंडर के भीतर ही रोवर प्रज्ञान बंद था जिसे चांद की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग करने थे।
इधर, इसरो के चेयरमैन डॉ. के. सिवन ने कहा है कि चंद्रयान 2 का ऑर्बिटर बेहतरीन काम कर रहा है। उसके सारे पेलोड यंत्र सही से काम कर रहे हैं। ऑर्बिटर ने चांद की सतह को लेकर प्रयोग करने शुरू कर दिए हैं। हमें लैंडर से कोई सिग्नल नहीं मिल रहा है। लेकिन हमारा ऑरबिटर अभी भी चांद के चारों तरफ चक्कर लगाते हुए उम्दा प्रदर्शन कर रहा है। उन्होंने कहा विक्रम लैंडर के साथ क्या गलत हुआ है। इसकी जांच राष्ट्रीय स्तर की कमेटी करेगी।
जानकारी के अनुसार नासा अब 14 अक्टूबर को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के अंधेरा के बाद एक बार फिर अपने लूनर रिकॉनेसा ऑर्बिटर के कैमरे से विक्रम लैंडर की लोकेशन जानने और उसकी तस्वीर लेने की कोशिश करेगा। बात दें कि पहले बी एजेंसी ऐसी कोशिशें कर चुकी है। लेकिन उसे सफलता नहीं मिली।
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Published September 27th, 2019 at 09:17 IST
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