Updated April 1st, 2020 at 09:22 IST
केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, पलायन अब बर्दास्त नहीं
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई सुनवाई में सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस मसले पर कोर्ट को रिपोर्ट भी सौंपी।
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शहर से गांव की तरफ पलायन कर रहे लोगों की स्थिति पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि पलायन अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और गांव जाने वाले हर तीसरे शख्स से संक्रमण का खतरा बढ़ा है।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई सुनवाई में
सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस मसले पर कोर्ट को रिपोर्ट भी सौंपी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में सरकार से कहा है कि पलायन कर रहे प्रवासी मजदूरों के लिये बनाए गए शेल्टर होम में खाना , दवाई , काउन्सलिंग , पानी, बेड की सुविधा सुनिश्चित करे।
साथ ही सरकार 24 घन्टे के अंदर हेल्थ केयर प्रोफेशनल का एक पोर्टल गठित करे जो कोरोना को लेकर लोगो की शंकाओं का जवाब दे सके।
सुप्रीम कोर्ट ने फेक न्यूज फैलाने वालों पर सख्ती दिखाते हुए आदेश दिया कि सरकार सोशल मीडिया पर फेंक न्यूज़ फैलाने वालो पर सख्त कार्रवाई करे। कोर्ट ने ये भी कहा कि बेघर या दिहाड़ी मजदूरों को शेल्टर होम में रहने के लिए समझाया जाए
सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि देश मे पहला केस आने के बाद से ही सरकार तमाम एहतियाती कदम उठा रही है। सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार के होम सेक्रेटरी भी सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के साथ उनके ऑफिस में मौजूद थे।
तुषार मेहता ने अपनी दलील में कहा कि हमने 17 जनवरी से तैयारी शुरू कर दी थी। और सरकार ने काफी हद तक संक्रमण को रोकने में सफलता भी हासिल की है, यही नहीं दूसरे देशों के मुकाबले भारत सरकार ने कहीं ज़्यादा प्रभावी कदम उठाए है।
तुषार मेहता ने कहा कि देश में कोई नया केस सामने आने से पहले ही दूसरे देशों से आने वाले लोगों के लिए थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था कर दी गई थी।
सॉलीसिटर जनरल ने फेक न्यूज पर चिंता जताते हुए कहा कि कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच फेक न्यूज़ से निपटना सबसे बड़ी चुनौती है।
सॉलिसिटर जनरल के अदालत को बताया कि केंद्र सरकार जॉइंट सेकेट्री लेवल के अधिकारी की अध्यक्षता में एक अलग से यूनिट बना रही है। इस यूनिट में हेल्थ एक्सपर्ट, एम्स और दूसरे अस्पतालों के सीनियर डॉक्टर शामिल होंगे जो लोगो की शंकाओ का समाधान करे ताकि वो ग़लत जानकारी के झांसे में लोग ना आएं। यही नहीं जो लोग विदेश से आ रहे है, उन्हें क्योरेंटाइन में रखा गया। बाहर से आने वाली फ्लाइट 22 मार्च से बन्द कर दी गई है, अब बाहर से संक्रमण आने का कोई खतरा नहीं है ।अब हमे देश के अंदर के संभावित खतरे से निपटना है
सरकार के आश्वासन ने बाद चीफ जस्टिस एस.ए. बोबड़े ने कहा कि सरकार 24 घन्टे के भीतर एक्सपर्ट कमेटी का गठन करे और प्रतिदिन प्रेस ब्रीफिंग की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
कोर्ट के इस निर्देश के बाद तुषार मेहता ने कहा कि जॉइंट सेकेट्री हेल्थ और जॉइंट सेकेट्री होम की ओर से रोज ब्रीफिंग हो रही है।अब विचार इस पर कर रहे है कि हर रोज ज़्यादातर पूछे जाने वाले सवालो को लेकर एक बुलेटिन भी जारी किया जाए
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से व्हाट्सप्प चैट बॉक्स को लॉन्च किये जाने को लेकर सवाल पूछा जिसपर केन्द्र सरकार ने बताया कि ये सिस्टम अभी ट्रायल स्टेज पर है।
सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि हमने सभी राज्यों से पूछा है कि कोरोना मरीजों के लिए एक्सलूसिव कितने हॉस्पिटल बेड उपलब्ध हो सकते है। और हमने राज्यो से एक्सक्लुसिव कोरोना हॉस्पिटल तैयार करने को भी कहा है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि अब शहरों से पलायन की इजाजत बिल्कुल नहीं दी जा सकती। क्योंकि पलायन से उन गांव वालों के वायरस के चपेट में आने का खतरा बनेगा, जो अभी तक उससे बचे हुए है। यही नहीं शहर से पलायन करने वाले हर 10 मे से 3 के वायरस के ट्रांसमिशन की संभावना है। वैसे अच्छी बात ये है कि गांव वाले भी पलायन कर रहे लोगों की गांव में एंट्री पर एतराज़ जाहिर कर रहे है।
तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि केंद्र सरकार ने राज्यो को साफ निर्देश दिये है कि अब शहरों से गांव की ओर पलायन एकदम बन्द होना चाहिए, और कोई भी व्यक्ति सड़क पर नजर नहीं आना चाहिए, अगर कोई सड़क पर है, तो उसे नज़दीक के शेल्टर होम ले जाए जाने का आदेश दिया गया है।
कोर्ट ने सरकार से ये जानना चाहा कि क्या प्रवासी मजदूर अभी भी सड़क पर घूम रहे है? इसके जवाब में तुषार मेहता ने कहा कि होम सेकेट्री के मुताबिक आज 11 बजे तक की स्थिति के मुताबिक कोई सड़क पर नहीं है। जो भी थे, उन्हें शेल्टर होम में रखा गया है। अभीतक 6 लाख 63 हज़ार लोगों को शेल्टर दिया गया है। 22 लाख 88 हज़ार लोगों तक भोजन और दूसरी ज़रूरी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। अब कोई भी सड़क पर नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने एकबार फिर दोहराया कि वायरस से ज्यादा इसका खौफ जीवन के लिये बड़ा खतरा है।
सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार से ये भी कहा है कि सभी आस्थाओं से संबंधित प्रशिक्षित काउंसलर और सामुदायिक नेता राहत शिविरों का दौरा करें और लोगों में फैले भय को रोकें ।
सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले पर अगली सुनवाई मंगलवार 7 अप्रैल को करेगा।
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Published March 31st, 2020 at 23:11 IST
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