Updated June 17th, 2019 at 20:15 IST
बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे की संवेदनहीनता, बच्चों से ज्यादा मैच के स्कोर की चिंता, बैठक में पूछा स्कोर
नीतीश कुमार से जब रिप्बलिक भारत ने सवाल पूछे तो वो जवाब देने की जगह भाग खड़े हुए यहीं नहीं संवेदनहीनता और लापरवाही की मिसाल सिर्फ नीतीश बाबू ने ही पेश नहीं की
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सोचिए जिस सूबे में अब तक 100 से ज्यादा बच्चों को एक बुखार ने लील लिया हो । और मौत का सिलसिला अब तक ना थमा हो। वहां का मंत्री बच्चों की मौत पर जवाब देने की बजाए क्रिकेट प्रेमी खोज रहा हो। क्रिकेट का स्कोर जानने में मग्न हो। तो उस सूबे का भगवान ही मालिक है।
मुजफ्फरपुर में हर तरफ चीख - पुकार है । हर तरफ बेबसी है। यहां मां के आंचल में हर घंटे कोई ना कोई मासूम तिल-तिलकर दम तोड़ रहा है। । लेकिन दूसरी तरफ बिहार सरकार सो रही है। बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे को तो बच्चों की मौत से ज्यादा क्रिकेट मैच में दिलचस्पी है। बच्चों की मौत पर जनाब प्रेस कान्फ्रेंस कर रहे थे। सरकार की जवाबदेही को लेकर संजीदा सवाल हो रहे थे। लेकिन मंत्रीजी का दिमाग तो कहीं और था। सवाल ज्यादा हो रहे थे। वक्त ज्यादा लग रहा था। ऐसे में जब मंगल पांडे से रहा नहीं गया तो पूछ ही डाला कि क्या कोई यहां क्रिकेट प्रेमी है जो मुझे अभी का स्कोर बता सके।
पता नहीं मौत का आंकड़ा कहां जाकर थमेगा। । कब गरीब बच्चों के परिवार का रुदन थमेगा। हर घंटे कोई ना कोई मासूम मौत को गले लगा रहा है। लेकिन दूसरी तरफ हुजूर को 75 किलोमीटर दूर जाना गवारा नहीं है। सीएम के पास दिल्ली जाने का तो वक्त है। लेकिन मुजप्फरपुर नहीं । ऐसा लगता है कि उन्हें गरीबों के बच्चों के जाने की फिक्र नहीं। यही कहा आरएलएसपी प्रमुख उपेन्द्र कुशवाहा ने
ऐसा लगता है कि मंत्री से लेकर मुक्यमंत्री तक सब संवेदनहीन हो चुके हैं। ऊपर से इस बात की बेशर्मी भी कि इसके लिए काफी हद तक बच्चों के मां-बाप जिम्मेदार हैं। देखिए कैसे मंगल पांडे कारण गिना रहे हैं कि बच्चों को देर से अस्पताल लाया गया।
मंत्रियों का बुकार पर हर दिन प्रवचन हो रहा है। वो ज्ञान दे रहे हैं। लेकिन कोई नहीं बता रहा है कि इन बच्चों की मौत का जिम्मेदार कौन है। । कोई नहीं बता रहा कि मौत का ये सिलसिला कब जाकर थमेगा। रही बात लोगों की तो सिर्फ प्रदर्शन कर सकते हैं। अपने लख्तेजिगर के जाने के गम में छाती पीटकर रो सकते हैं। लेकिन सरकार आपको क्या। आप जो ठहरे हुजूर!
बिहार में चुनावों के दौरान एक नारा था। । बिहार में बहार है नीतीशे कुमार है, लेकिन आज बिहार में बुखार है और गायब नीतीश सरकार है। बिहार में बच्चों की मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है। लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुप्पी साधी रख रखी है। कहते हैं कि सियासत जब संवेदनहीन हो जाए तो बहुत भयावह तस्वीर उभरती है। कुछ ऐसी ही तस्वीर बिहार में भी उभरी है। और लगभग 15 साल से बिहार की सत्ता पर काबिज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस महामारी को लेकर लापरवाह बने हुए हैं।
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Published June 17th, 2019 at 17:43 IST
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