Updated March 12th, 2019 at 08:27 IST
अयोध्या विवाद: मध्यस्थता पैनल की बैठक 13 मार्च से शुरू, क्या बातचीत से बनेगी बात?
अगर सुप्रीम कोर्ट को लगता है कि किसी एक फार्मूले पर ज़्यादातर पक्षकार सहमत हैं तो उस पर कोर्ट अपनी मुहर लगा देगा।
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राम मंदिर के लिए बीच का रास्ता निकालने के लिए 13 मार्च से मध्यस्थता पैनल की बैठक शुरू हो रही है। मध्यस्थता पैनल और पक्षकारों की बैठक से राम भक्तों का मंदिर बनाने का सपना सच हो सकता है। सालों से इस विवाद ने राम भक्तों के इंतजार को बढ़ा दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने एक मौका और दिया है ताकि इस विवाद को कोर्ट के बाहर ही सुलझा लिया जाए।
मध्यस्थता को हिंदू और मुस्लिम समाज दोनों का ही समर्थन है लेकिन ओवैसी जैसे नेताओं ने अपनी राजनीति चमकाने के लिए तो मध्यस्था पैनल में श्रीश्री रविशंकर के शामिल होने पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। चंद लोग इस विवाद को खत्म नहीं होने देना चाहते जबकि दोनों ही धर्मों के लोग भव्य राम मंदिर बनाने के लिए रास्ता निकालना चाहते हैं।
कई राउंड की बातचीत के बाद एक या एक से ज़्यादा फॉर्मूला बनाया जाएगा। ऐसा फॉर्मूला जो सभी या ज़्यादातर पक्षों को स्वीकार्य हो। ये भी हो सकता है कि इस दौरान पैनल के सामने कोई फॉर्मूला ही न बन पाए। पैनल की ओर से जो भी नतीजा निकाला जाएगा उसकी रिपोर्ट 8 हफ्तों में कोर्ट को सौंप दी जाएगी।
मध्यस्थता से हल होगा मंदिर विवाद
- सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता के लिए बनाई समिति
- मध्यस्थता समिति में होंगे तीन सदस्य
- मध्यस्थता की कार्रवाई गोपनीय होगी
- मीडिया रिपोर्टिंग नहीं की जाएगी
- प्रगति रिपोर्ट चार हफ्ते में देनी होगी
- पूरी रिपोर्ट आठ हफ्ते में देनी होगी
अगर सुप्रीम कोर्ट को लगता है कि किसी एक फार्मूले पर ज़्यादातर पक्षकार सहमत हैं तो उस पर कोर्ट अपनी मुहर लगा देगा। कोर्ट की मुहर लगने के बाद वह सभी को मान्य होगा। अगर कोई सहमत न हो तो पुनर्विचार याचिका के ज़रिए कोर्ट के फैसले को चुनौती दे सकता है। वहीं आएसएस के महासचिव भईया जी जोशी ने कहा कि जब तक राम मंदिर का सपना पूरा नहीं होगा आंदोलन जारी रखेंगे।
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मध्यस्थता पैनल में रिटायर्ड जस्टिस एफ. एम. कलीफुल्ला, वरिष्ठ वकील श्रीराम पांचू और आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर हैं। इन पर बड़ी जिम्मेदारी है कि सभी पक्षों में आपसी तालमेल से बातचीत कराएं और भव्य राम मंदिर के लिए आगे का रास्ता तैयार हो।
मध्यस्थों को जानिए...
जस्टिस कलीफुल्ला
- अप्रैल 2012 में सुप्रीम कोर्ट में जज बने
- 2016 में सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हुए
- तमिलनाडु के शिवगंगा जिले के रहने वाले
- BCCI को पारदर्शी बनाने में अहम योगदान
श्रीराम पंचू
- करीब 40 सालों से वकालत के पेशे में हैं
- मध्यस्थता के जरिए केस सुलझाने में माहिर
- कई जटिल मामलों में मध्यस्थ रहे
- 'द मीडिएशन चैंबर' नाम की संस्था बनाई
- एसोसिएशन ऑफ इंडियन मीडिएटर्स के अध्यक्ष
श्री श्री रविशंकर
- देश के प्रख्यात आध्यात्मिक गुरु
- कई बड़े मामलों में मध्यस्थ की भूमिका
- 'आर्ट ऑफ लिविंग' के संस्थापक
- मंदिर मामले में दोनों पक्षों से अच्छे रिश्ते
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Published March 11th, 2019 at 11:48 IST
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