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Updated September 27th, 2018 at 13:42 IST

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ओवैसी बोले -अडल्टरी अपराध नहीं तो तीन तलाक कैसे..

अडल्टरी कानून पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आते ही एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है .

Reported by: Amit Bajpayee
| Image:self
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अडल्टरी कानून पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आते ही एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है . उन्होंने ट्वीट कर तीन तलाक पर लाए अध्यादेश को वापस लेने की मांग की है.

ओवैसी ने कहा, पहले धारा 377 और अब धारा 497 को गैर-आपराधिक घोषित कर दिया गया लेकिन तीन तलाक कानून में दंड का प्रावधान है. ओवैसी ने कहा, क्या इंसाफ है मित्रों आपका, अब बीजेपी क्या करेगी.'

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अडल्टरी (विवाहेतर संबंध) में IPC की धारा 497 को असंवैधानिक करार दिया. इसके बाद ओवेसी ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए ट्वीट किया , 'सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को असंवैधानिक नहीं कहा है जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 377 और 497 को असंवैधानिक करार दिया.' उन्होंने आगे लिखा कि क्या मोदी सरकार इन फैसलों से सीखेगी और तीन तलाक पर अपने असंवैधानिक अध्यादेश को वापस लेगी ? 

 

बता दें सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए 150 साल पुराने एडल्टरी कानून को असंवैधानिक करार दिया है. इस कानून में कहा गया था कि अगर कोई पुरुष शादीशुदा महिला से अवैध संबंध बनाता है तो उसे पांच साल की सजा और जुर्माना हो सकता है. 

धारा 497 के खिलाफ लगी याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि एडल्टरी को शादी से अलग होने का आधार बनाया जा सकता है लेकिन इसे अपराध नहीं माना जा सकता.

वहीं एडल्टरी को अपराध मानने से इनकार करते हुए कोर्ट ने कहा अवैध संबंध को सीधे अपराध नहीं माना जा सकता. अवैध संबंध तभी अपराध जब पत्नी सुसाइड कर ले. 

जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा, "एडल्टरी चीन, जापान, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में अपराध नहीं है. यह शादियों में परेशानी का नतीजा हो सकता है उसका कारण नहीं. इसे क्राइम कहना गलत होगा." उन्होंने कहा, "एक लिंग के व्यक्ति को दूसरे लिंग के व्यक्ति पर कानूनी अधिकारी देना गलत है. इसे शादी रद्द करने का आधार बनाया जा सकता है लेकिन इसे अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता. 

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Published September 27th, 2018 at 13:13 IST

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