Updated June 4th, 2019 at 15:29 IST
मायावती को अखिलेश का जवाब: 'गठबंधन नहीं तो अकेले लड़ेंगे उप चुनाव, अगर रास्ते अलग-अलग है तो उसका भी स्वागत'
बसपा अध्यक्ष ने कहा कि खासकर कन्नौज में डिम्पल यादव, बदायूं में धर्मेन्द्र यादव और फिरोजाबाद में अक्षय यादव का हार जाना हमें बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करता है।
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बीएसी सप्रीमो मायावती ने विधानसभा उप चुनाव में अकेले लड़ने के ऐलान पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि गठबंधन टूटा है या जो गठबंधन पर कहा गया उस पर सोच समझ कर विचाार करेंगे। समाजवादी पार्टी भी उपचुनाव के लिए तैयार है। सपा अकेली लड़ेगी । समाजवादी पार्टी भी उपचुनाव के लिए तैयार है।
गौरतलब है कि सपा अध्यक्ष मायावती ने मंगलवार को कहा कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा की कुछ सीटों के लिये होने वाले उपचुनाव उनकी पार्टी अपने बलबूते लड़ेगी। मायावती ने हालांकि भविष्य में सपा के साथ फिर से गठबंधन के विकल्प को खुला रखा है।
मायावती ने एक बयान में सपा के साथ गठबंधन पर ‘परमानेंट ब्रेक’ लगने की अटकलों को खारिज करते हुये स्पष्ट किया कि, ‘‘यदि हमें लगेगा कि सपा प्रमुख अपने राजनीतिक कार्यों के साथ साथ अपने लोगों (कार्यकर्ताओं) को मिशनरी बनाने में कामयाब हो जाते हैं तो हम लोग जरूर आगे भी साथ मिलकर चल सकते हैं।’’
उल्लेखनीय है कि हाल ही में संपन्न हुये लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश से भाजपा के नौ विधायकों और सपा, बसपा के एक एक विधायक के सांसद बनने के बाद रिक्त हुयी 11 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव संभावित है। मायावती की अध्यक्षता में सोमवार को हुयी पार्टी नेताओं की बैठक में इन सीटों पर संभावित उपचुनाव, बसपा के अपने बलबूते लड़ने का फैसला किया गया था।
उन्होंने सपा का वोट बैंक बसपा को स्थानांतरित नहीं होने के बारे में कहा, ‘‘जब सपा का बेस वोट सपा की कुछ खास सीटों पर ही छिटक गया तो फिर उन्होंने (सपा समर्थकों) बसपा को अपना वोट कैसे दिया होगा, यह भी सोचने की बात है।’’
उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की 80 सीटों में भाजपा को 62 और सपा-बसपा-रालोद गठबंधन को 15 सीट मिली। इनमें 10 सीट बसपा को और सपा को पांच सीट मिल सकी। वहीं 2014 में अलग अलग चुनाव लड़ी सपा को पांच और बसपा को एक भी सीट नहीं मिली थी।
गठबंधन को उम्मीद के मुताबिक परिणाम मिलने के बारे में मायावती ने दलील दी, ‘‘सपा का अपना बेस वोट (जनाधार) और बसपा का बेस वोट जुड़ने के बाद दोनों दलों को कतई हारना नहीं चाहिये था। इनकी (सपा) हार का भी हमारी पार्टी को बहुत दुख है और यह हमें आगे के लिये भी सोचने पर मजबूर करता है।’’
उन्होंने बताया कि तीन जून को दिल्ली स्थित बसपा के केन्द्रीय कार्यालय में उत्तर प्रदेश के पार्टी पदाधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों की अहम बैठक में चुनाव परिणाम की गहन समीक्षा की गयी।
उन्होंने कहा, ‘‘इसमें पाया गया कि बसपा, जिस प्रकार से डा. अंबेडकर के मिशन पर चलने वाली कर्मठ, अनुशासित और कैडर आधारित पार्टी है, उसी मानसिकता के तहत सपा से गठबंधन कर बड़े मानवतावादी लक्ष्य की प्राप्ति के मकसद से मिलकर चुनाव लड़ा गया था। लेकिन दुख की बात यह है कि इस मकसद में भी हमें कोई खास सफलता नहीं मिली।’’
मायावती ने सपा को नसीहत देते हुये कहा, ‘‘इस संबंध में सपा के लोगों में भी काफी सुधार लाने की जरूरत है तथा उन्हें अपने आप में बसपा के कैडर की तरह ही किसी भी हाल में तैयार होने के साथ भाजपा की घोर जातिवादी, सांप्रदायिक और जनविरोधी नीतियों से उत्तर प्रदेश, देश और समाज को मुक्ति दिलाने के लिये अधिक कठोर संघर्ष करते रहने की सख्त जरूरत है जिसका मौका सपा ने इस चुनाव में गंवा दिया।’’
बसपा अध्यक्ष ने कहा कि खासकर कन्नौज में डिम्पल यादव, बदायूं में धर्मेन्द्र यादव और फिरोजाबाद में अक्षय यादव का हार जाना हमें बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करता है।
उन्होंने कहा कि सपा के लोगों ने इस चुनाव में एक अच्छा मौका तो गंवा दिया लेकिन आगे अब इन्हें इसी हिसाब से काफी अधिक तैयारी करने की जरूरत है।
मायावती ने लोकसभा चुनाव के परिणाम में ईवीएम की विश्वसनीयता पर भी संदेह व्यक्त किया। उन्होंने कहा, ‘‘यह चुनाव परिणाम हमें सोचने पर मजबूर करता है। हालांकि उत्तर प्रदेश में जनअपेक्षा के विपरीत आये चुनाव परिणाम में ईवीएम की भूमिका भी खराब रही है। यह भी किसी से छुपा नहीं है।’’
( इनपुट-भाषा से )
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Published June 4th, 2019 at 15:27 IST
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