Updated September 7th, 2018 at 01:15 IST
377 verdict: फैसले से खफा अखिल भारत हिंदू महासभा ने PM मोदी को लिखा खत ..
देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने संविधान की धारा 377 को लेकर अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि समलैंगिकता अब अपराध नहीं है.
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देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने संविधान की धारा 377 को लेकर अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि समलैंगिकता अब अपराध नहीं है. वहीं दूसरी तरफ अखिल भारत हिंदू महासभा ने इस फैसले का विरोध करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है. अखिल भारत हिंदू महासभा ने अपने पत्र में धारा 377 को लेकर संसद में कानून बनाने की मांग की है. उन्होंने अपने पत्र में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को समाज और राष्ट्र हित के लिए खतरा बताया है. अखिल भारत हिंदू महासभा का कहना है कि इस फैसले से समाज में केवल अराजकता को बल मिलेगा. उन्होंने तत्काल संसद में अध्यादेश लाने की वकालत की है.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा -
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि LGBT समुदाय को अन्य नागरिकों की तरह समान मानवीय और मौलिक अधिकार हैं. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 377 LGBT के सदस्यों को परेशान करने का हथियार था, जिसके कारण इससे भेदभाव होता है. वहीं United Nations ने भी धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले का समर्थन किया है.
बॉलीवुड समेत कई सामाजिक संगठन और कुछ राजनीतिक पार्टियों ने भी कोर्ट के इस फैसले का समर्थन किया है. बॉलीवुड गायक सोनू निगम ने रिपब्लिक टीवी से बात करते हुए इस फैसले का समर्थन किया है.
कोर्ट का फैसला आने के बाद से ही LGBT कम्युनिटी के लोगों में उत्साह का माहौल है. लोगों ने मीडिया से बात करते हुए इस दिन को स्पेशल दिन बताया है. इसके साथ ही उनका कहना था कि पहले हम बंधे हुए थे.. लेकिन कोर्ट के फैसले के बाद हम खुलके जी सकते हैं.
वहीं इस पूरे मामले पर RSS के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने अपनी प्रतीक्रिया देते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की तरह हम भी इस को अपराध नहीं मानते. समलैंगिक विवाह और संबंध प्रकृति से सुसंगत एवं नैसर्गिक नहीं है, इसलिए हम इस प्रकार के संबंधों का समर्थन नहीं करते. परंपरा से भारत का समाज भी इस प्रकार के संबंधों को मान्यता नहीं देता. मनुष्य सामान्यतः अनुभवों से सीखता है इसलिए इस विषय को सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक स्तर पर ही सम्हालने की आवश्यकता है.
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Published September 7th, 2018 at 01:15 IST
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