Updated December 1st, 2019 at 11:55 IST
महाराष्ट्र के बाद अब बिहार में NDA के लिए खतरे की घंटी! RJD नेता ने कहा, 'महाराष्ट्र फॉर्मूले से हारेगी BJP'
महाराष्ट्र में सियासी उलटफेर के बाद शिव सेना ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया। सत्ता के लिए शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी से हाथ मिलाया और महाराष्ट्र में सरकार बना ली।
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विपक्षी पार्टियों पर पीएम मोदी का खौफ है। विपक्ष पस्त जरूर है लेकिन किसी तरह बीजेपी और मदी सरकार को रोकने की नाकाम कोशिशे जारी है। डर का आलम ये है कि अब बिहार में भी महाराष्ट्र की तर्ज पर नए समीकरण बनाने की कोशिशे तेज़ हो गई हैं।
महाराष्ट्र में सियासी उलटफेर के बाद शिव सेना ने बीजेपी का साथ छोड़ दिया। सत्ता के लिए शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी से हाथ मिलाया और महाराष्ट्र में सरकार बना ली। अब इसका असर बिहार की राजनीति पर भी पड़ता दिख रहा है। राष्ट्रीय जनता दल के एक नेता का दावा है कि जल्द ही महाराष्ट्र की राजनीति का साइड इफ़ेक्ट बिहार में भी देखने को मिल सकता है।
आरजेडी के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने दावा किया है कि बहुत जल्द बिहार मे बड़ा राजनीतिक उलटफेर हो सकता है और बीजेपी को रोकने के लिए जेडीयू-आरजेडी के बीज अंदरखाने बातचीत शुरू हो गई है।
आरजेडी नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि गैर बीजेपी जहां भी एकजुट होगा बीजेपी को पछाड़ देंगे। वही फार्मूला महाराष्ट्र में लागू हुआ है, बिहार में भी गैरबीजेपी को एक साथ लाएंगे..यहां भी समय पर एकजुट होगा।
हालांकि रघुवंश बाबू कुछ भी कहें लेकिन उन्ही की पार्टी के नेता और लालू यादव के सुपुत्र केजस्वी यादव उनके इस दावे के पूरी तरह नकार रहे हैं।
आरजेडीनेता तेजस्वी यादव ने कहा कि यह सवाल और चर्चा हमारे पार्टी में हो ही नहीं रहा है। इसपे बार बार बयान देने का कोई मतलब नहीं है। पूरी पार्टी और हर एक नेता पुराने स्टैंड पे कायम है।
तेजस्वी ने बयान को नकारा तो जेडीयू ने भी बयान का खंडन नहीं किया और एनडीए के पूरी तरह एकजुट होने का दावा भी कर दिया। दरअसल जिस तरह शिव सेना ने चुनाव बाद गठबंधन तोड़ कांग्रेस-एनसीपी के साथ महाराष्ट्र में सरकार बना ली ठीक ऐसा ही वाकया बिहार में 2017 में हो चुका है. तब 2015 में सीएम नीतीश कुमार की जेडीयू और लालू प्रसाद यादव की आरजेडी ने साथ चुनाव लड़ा, जीते और सरकार भी बनाई।
लेकिन, 2017 में सीएम नीतीश कुमार ने पाला बदल लिया और भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर सरकार बना ली. बहरहाल बिहार एक बार फिर सुर्खियों में है क्योंकि यहां अगले साल अक्टूबर-नवंबर के महीने में विधान सभा का चुनाव होना है और तेजी से बदलते राजनीतिक समीकरणों के बीच राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह ने एक बार फिर अपने बयान से बिहार की राजनीति में हलचल ला दी है. और वैसे भी राजनीति में कल क्या हो कौन जानता है ? राजनीति में कुछ भी सम्भव है?
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Published December 1st, 2019 at 11:55 IST
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