Updated January 26th, 2019 at 16:04 IST
सुभाष चंद्र बोस की INA के जांबाज़ लालती राम का दावा- "प्लेन क्रैश में नहीं हुई थी नेताजी की मौत, बल्कि बाद में वो हमसे मिले थे"
प्राउड टू इंडियन के जरिए रिपब्लिक टीवी देश के असली हीरो का सम्मान कर रहा है.
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आज पूरा देश गणतंत्र का पर्व मना रहा है. हर किसी का सीना गर्व से उस वक्त चौड़ा हो जाता है जब देश की गौरवगाथा से रूबरू होने का अवसर मिलता है. आज कुछ ऐसा ही वक्त है. देशभर में आज 70 वें गणतंत्र दिवस की धूम है. 26 जनवरी एक ऐसा दिन है जो देश का राष्ट्रीय पर्व है. इस मौके पर रिपब्लिक भारत आपको देश के रियल हीरो से रुबरु करवा रहा है.
प्राउड टू इंडियन के जरिए रिपब्लिक टीवी देश के असली हीरो का सम्मान कर रहा है. इसी क्रम में आज हमने खास मुलाकात आजाद हिंद फौज (इंडियन नेशनल आर्मी) और स्वतांत्रता सेनानी पंचकुला निवासी 98 वर्षीय लालती राम से हुई. इस दौरान उन्होंने नेता सुभाष चंद्र बोस और आजाद हिंद फौज से जुड़े अनुभवों के साझा किया.
"मुझे बहुत अच्छा लग रहा है, मैं दुनिया के शीर्ष पर महसूस करता हू. गणतंत्र दिवस पर आज जो हुआ वह पहले कभी नहीं हुआ."
उन्होंने आगे कहा कि नेताजी का नारा 'तुम मेरे लिए हो, मुझे आजादी दे दूंगा', वो सिर्फ हम नहीं थे, जिन्होंने हमारे शरीर, दिमाग और आत्मा के साथ ये काम किया, लेकिन हमें लोगों का समर्थन हासिल था. अगर लोगों के पास एक भैंस थी, तो वो खुशी- खुशी हमें दे देते थे. अगर किसी के पास गाय है तो वे कहते हैं कि सैनिकों को दूध पिलाओ और उन्हें आगे ले जाओ. नेताजी के नाम पर, जनता ने बहुत कुछ भी दिया "
आईएनए दिग्गज के पोते ने अपने दादा के शब्दों का अनुवाद करते हुए कहा कि आईएनए से अपने सहयोगियों के विस्थापन को लेकर लालती राम की नारजगी से अवगत कराया. सुभाष चंद्र बोस की सेना के अनुभवी ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया क्योंकि उनका मानना था कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत 'प्लेन क्रैश' में नहीं हुई थी, बल्कि वो उसके बाद हमारी बैटेलियन से मिलने आए थे
बता दें कि 21 अक्टूबर 1943 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सिंगापुर में प्रांतीय आजाद हिंद सरकार की स्थापना की थी. उस समय 11 देशों की सरकारों ने आजाद हिंद सरकार को मान्यता दी थी इस सरकार ने कई देशों में अपने दूतावास भी खोले थे.
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Published January 26th, 2019 at 16:04 IST
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