Updated November 3rd, 2018 at 16:24 IST
कांग्रेस दमदार या बीजेपी असरदार ?
बीजेपी में शामिल हुए तीन निर्दलीय विधायकों को उम्मीदवार बनाकर एमपी के रण में एक और दांव खेला है.
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मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है. चुनावी सरगर्मी बढ़ती जा रही है. 15 सालों से सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी के लिए इस बार मध्यप्रदेश का किला फतेह कर पाना आसान नहीं है. हालांकि टिकट बंटवारे में बीजेपी के कड़े रवैये से ये साफ हो गया कि वो कोई भी कोताही बरतने को कतई तैयार नहीं है. बीजेपी एमपी की कुर्सी के लिए कई दांवपेंच अपना रही है.
मध्यप्रदेश की 230 सीटों में से 177 सीटों पर बीजेपी की पहली सूची जारी होते ही मानो जैसे राजनीतिक भूचाल सा आ गया. बीजेपी के वर्तमान 35 विधायकों के टिकट कट गए जिससे सबसे बड़ा झटका मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री रहीं माया सिंह को लगा है. माया सिंह का टिकट काटकर बीजेपी ने पार्षद सतीश शिकरवार को मैदान में उतारा है. इस लिस्ट में मंत्री हर्ष सिंह और बाबूलाल गौर के नाम की भी घोषणा नहीं हुई है. लेकिन 53 सीटों पर उम्मीदवारों का नाम आना अभी भी बाकी है. 53 सीटों के फैसले पर सभी की निगाहें टिकी हैं.
हाल ही में बीजेपी में शामिल हुए 3 निर्दलीय विधायकों को पार्टी ने नए योद्धा के तौर पर चुनावी रणभूमि में उतारा है.
- बीजेपी में नए साथियों ने मारी बाजी
1). सुदेश राय - सीहोर विधानसभा
2). मून मून सेन - सिवनी विधानसभा
3). कल सिंह भावर - झाबुआ
- जीत के लिए कांग्रेस बेकरार
वहीं 15 सालों से लगातार कुर्सी पर बैठी बीजेपी से विजय मुकुट छीनने के लिए कांग्रेस भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को भी यकीन है कि इस बार सत्ता कांग्रेस के खेमे में आने वाली है. मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि किसानों के मुद्दों पर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री की ''चोरी'' पकड़ी गई है. उन्हें सीएम की कुर्सी पर रहने का अधिकार नहीं है. लेकिन शिवराज को विजय रथ से उतारने का दंभ भरने वाली कांग्रेस के लिए ये बिल्कुल भी आसान नहीं है.
बता दें, 2005 में पहली बार मुख्यमंत्री बने शिवराज सिंह चौहान की बतौर सीएम ये तीसरी पारी है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक मध्यप्रदेश के ज्यादातर वोटरों की पसंद अभी भी शिवराज हैं. इसके अलावा 2013 के नतीजों में शिवराज के ही नेतृत्व में बीजेपी ने 230 सीटों में से 165 पर शानदार जीत हासिल की थी. लाजमी है कि शिवराज के सिर से ताज छीनना कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा.
2019 के सेमीफाइनल में एमपी का अहम किरदार-
28 नवंबर को एमपी में एक ही चरण में वोटिंग होनी है. 5 राज्यों के चुनावों को आगामी लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है. ऐसे में 11 दिसंबर को आने वाले नतीजों में ही पता चलेगा कि शिवराज सत्ता में वापसी करते हैं या नहीं?
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Published November 2nd, 2018 at 17:36 IST
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