Updated June 19th, 2021 at 11:48 IST
CM ममता की नंदीग्राम याचिका पर सुनवाई कर रहे जस्टिस चंदा पर TMC को ऐतराज; बताया- 'बीजेपी का सदस्य'
TMC के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश कौशिक चंदा 2018 तक भाजपा से जुड़े हुए थे।
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तृणमूल कांग्रेस (TMC) के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश कौशिक चंदा 2018 तक भाजपा से जुड़े हुए थे। डेरेक ओ ब्रायन ने मांग की है कि 'मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की नंदीग्राम याचिका पर सुनवाई कर रहे जस्टिस चंदा को बदला जाए, उनकी जगह कोई जज इस मामले की सुनवाई करे।'
सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने भाजपा के कानूनी प्रकोष्ठ के एक कार्यक्रम में भाजपा पश्चिम बंगाल प्रमुख दिलीप घोष के साथ चंदा की तस्वीरें पोस्ट की है। डेरेक ने अपने ट्वीट में लिखा, ''ये व्यक्ति कौन है जो दोनों तस्वीरों में 'लाल सर्कल' में दिख रहा है? क्या वह कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति कौशिक चंदा हैं? क्या उन्हें नंदीग्राम चुनाव मामले की सुनवाई के लिए नियुक्त किया गया है? क्या न्यायपालिका और नीचे गिर सकती है?'' आपको बता दें, जस्टिस चंदा ने सीएम की याचिका पर सुनवाई 24 जून तक के लिए टाल दी है।
नंदीग्राम की याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति चंदा पर टीएमसी का विरोध
इसके अलावा, टीएमसी ने आरोप लगाया कि एक वकील के रूप में कौशिक चंदा ने 2012, 2013, 2014 से 2018 तक कई मामलों में राज्य सरकार के खिलाफ भाजपा का प्रतिनिधित्व किया है। कलकत्ता उच्च न्यायालय की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, चंदा को दिसंबर 1998 में एक वकील के रूप में नामांकित किया गया था और बाद में वो 2014 में एक वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में पदोन्नत हुए। उन्हें 09 अप्रैल, 2015 को भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के रूप में नियुक्त किया गया और सितंबर, 2019 तक उस पद पर रहे। बाद में अक्टूबर में, उन्हें एक अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में कलकत्ता उच्च न्यायालय की पीठ में पदोन्नत किया गया।
बनर्जी के वकील ने भी कलकत्ता उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के सचिव को पत्र लिखकर अपनी याचिका को फिर से सौंपने की मांग की, क्योंकि उन्हें अवगत कराया गया था कि न्यायमूर्ति कौशिक चंदा, जो उनकी याचिका पर सुनवाई कर रहे हैं, "भाजपा के एक सक्रिय सदस्य" थे। यह हवाला देते हुए कि चूंकि चुनाव याचिका के फैसले के राजनीतिक प्रभाव होंगे, यह प्रार्थना की गई थी कि मामले को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश द्वारा किसी अन्य न्यायाधीश को सौंपा जाए। वकीलों ने कहा, "न्यायाधीश के खिलाफ हमारी कोई व्यक्तिगत दुर्भावना या आरोप नहीं है, लेकिन वह एक विशेष राजनीतिक दल से जुड़े थे।" बनर्जी ने चंदा के जज के रूप में पुष्टि पर आपत्ति जताई थी और उन्हें डर था कि उनकी ओर से पक्षपात की संभावना है।
आपको बता दें, 2021 के बंगाल चुनाव में नंदीग्राम सीट पर ममता बनर्जी को भाजपा के शुभेंदु अधिकारी से हार मिली थी। जिसके बाद ममता ने चुनाव आयोग के इस फैसले को चुनौती दी है। चुनाव आयोग के मुताबिक शुभेंदु ने ममता को 1737 वोटों से हराया है।
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Published June 19th, 2021 at 11:48 IST
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