Updated March 26th, 2019 at 21:46 IST
पटना के रण में रविशंकर का विरोध क्यों? जानिए... बिहार में सीटों पर तकरार के सियासी मायने
शत्रु के बागी होने के बाद इस सीट से दो अहम दावेदार रविशंकर प्रसाद और राज्यसभा सांसद आरके सिन्हा थे, लेकिन बाज़ी रविशंकर के हाथ लगी।
Advertisement
प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा चुनावों के अपनी टीम मैदान में उतार दी है। एक टीम विपक्ष पर हमला कर रही है तो दूसरी टीम अपनी अपनी सीटों पर मजबूत मौजूदगी दर्ज कराने में लगी हैं। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद पीएम मोदी के ऐसे ही एक सिपहसलार हैं। जो पटना साहिब से ताल ठोंक रहे हैं। लेकिन आज रविशंकर को पटना पहुंचते ही विरोध का भी सामना करना पड़ा।
दरअसल पटना साहिब की पवित्र भूमि से केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने अपने चुनावी रण का शंघनाद कर दिया है। गुरु की भूमि से शुरु हुआ ये चुनावी समर रविशंकर के पटना पहुंचते ही दो गुटों के बीच संघर्ष में बदल गया।
रविशंकर पटना एयरपोर्ट पहुंचे तो उनके समर्थकों का हुजूम उनके स्वागत के लिए उमड़ पड़ा। लेकिन उनके पहुंचने पर आर के सिन्हा के समर्थकों ने हंगामा किया। और फिर देखते ही देखते रविशंकर प्रसाद के समर्थक और आरके सिन्हा के समर्थक आपस में भिड़ गए।
हालांकि इस चुनावी रस्साकशी से बेपरवाह रविशंकर प्रसाद ने भरोसा जताया कि बिहार और पटना साहिब के लोग मोदी को एक बार फिर प्रधानमंत्री बनाने में बड़ी भूमिका निभाएंगे।
दरअसल पटना साहिब सीट से पिछली बार बीजेपी की टिकट पर शत्रुघ्न सिन्हा जीते थे, लेकिन शत्रु 28 मार्च को कांग्रेस में शामिल होंगे और हो सकता है कांग्रेस उन्हें इसी सीट से टिकट थमा दे। ऐसे में यहां मुकाबला बहुत दिलचस्प हो जाएगा।
शत्रु के बागी होने के बाद इस सीट से दो अहम दावेदार रविशंकर प्रसाद और राज्यसभा सांसद आरके सिन्हा थे, लेकिन बाज़ी रविशंकर के हाथ लगी।
पटना साहिब लोकसभा सीट पर बीजेपी की स्थिति काफी मज़बूत मानी जा रही है, क्योंकि इस क्षेत्र में 6 विधानसभा सीटें हैं जिनमें से 5 पर बीजेपी का कब्ज़ा है। जबकि एक सीट पर आरजेडी को जीत मिली थी।
इस सीट पर कायस्थ वोटरों की संख्या ज्यादा लेकिन अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए रविशंकर पिछले कुछ दिनों में पटना का काई बार दौरा कर चुके हैं। ऐसे में यहां मुकाबले में कौन बाज़ी मारेगा ये देखना दिलचस्प होगा।
लेकिन बिहार में हो रही मारामारी का सच ये है कि बिहार में जीतने के लिए जातिगत समीकरण ज़रूरी है। गठबंधन और जातिगत समीकरण ने गणित बदला है और मज़बूत सीट पर चुनाव लड़ने के लिए होड़ लगी हुई है।
Advertisement
Published March 26th, 2019 at 21:38 IST
आपकी आवाज. अब डायरेक्ट.
अपने विचार हमें भेजें, हम उन्हें प्रकाशित करेंगे। यह खंड मॉडरेट किया गया है।