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Updated December 13th, 2018 at 23:51 IST

मध्यप्रदेश की राजगद्दी पर बैठेंगे कमलनाथ, ज्योतिरादित्य सिंधिया को नहीं मिली कमान

ज्योतिरादित्य सिंधिया के हाथ खाली रह गए. सिंधिया सीएम की रेस में तो जरूर थे लेकिन मध्यप्रदेश की कमान कमलनाथ के हाथों में सौंपी गई.

Reported by: Ayush Sinha
| Image:self
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मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद अब CM की कुर्सी को लेकर भी फाइनल फैसला हो चुका है. कांग्रेस ने मध्यप्रदेश के लिए कमलनाथ के नाम की घोषणा कर दी है. कांग्रेस को 15 साल बाद यहां सरकार बनाने का मौका मिला है. तो वहीं मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर काफी देर तक सस्पेंस बना रहा जो अब खत्म हो गया है.

सीएम की कुर्सी के लिए फिलहाल कांग्रेस आलाकमान ने कोई घोषणा कर दी है. कमलनाथ के नाम पर सीएम की कुर्सी के लिए मुहर लग चुकी है. हालांकि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि मध्यप्रदेश में सीएम के सिंहासन के लिए सिंधिया भी प्रबल दावेदार थे.

इन सभी असमंजस के दोनों नामों में से किसी एक ही नाम पर मुहर लगनी थी. तो ज्योतिरादित्य सिंधिया के हाथ खाली रह गए. सिंधिया सीएम की रेस में तो जरूर थे लेकिन मध्यप्रदेश की कमान कमलनाथ के हाथों में सौंपी गई.

ज्योतिरादित्य सिंधिया के सफर पर एक नज़र..

ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर राजघराने से आते हैं. वो ग्वालियर के महाराजा माधव राव सिंधिया के बेटे हैं. हालांकि माधव राव सिंधिया की दो बहनें यानी ज्योतिरादित्य की बुआ वसुंधरा राजे सिंधिया और यशोधरा राजे सिंधिया भारतीय जनता पार्टी की बड़ी नेता हैं. वसुंधरा राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री और यशोधरा मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री रहीं हैं.

जानकारी के मुताबिक ज्योतिरादित्य के पिता ने अपनी मां से बगावत करके कांग्रेस का दामन थामा था. वो कांग्रेस सरकार में कई बार केंद्रीय मंत्री रहे. 

ज्योतिरादित्य पहली बार साल 2002 में सांसद चुने गए थे. उसके बाद 2004 में वो दूसरी बार लोकसभा पहुंचे. इस दौरान साल 2008 में कांग्रेस के मंत्रीमंडल विस्तार के बाद सिंधिया को पहली बार केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया गया. उनको सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री चुना गया.

2009 में वो एक बार फिर यानी तीसरी बार लोकसभा सांसद चुने गए. और उन्हें एक बार फिर केंद्रीय मंत्री बनाया गया. हालांकि सबसे खास बात ये रही कि सिंधिया ने 2014 में चल रही मोदी लहर के बीच मध्यप्रदेश की गुना सीट पर जीत का परचम लहराया था. जिसके बाद वो अक्सर राहुल गांधी के साथ संसद में दिखाई देते हैं.

फिलहाल सस्पेंस खत्म हो चुका है और हर किसी को इसी बात का इंतजार था कि मध्यप्रदेश में सीएम के सिंहासन पर कौन विरजमान होगा.. काफी कशमोकश के बाद कमलनाथ के नाम पर फैसला आ चुका है.

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Published December 13th, 2018 at 23:48 IST

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