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Updated February 1st, 2019 at 09:41 IST

Budget 2019 Indian Budget History: जानें, कब किसने पेश किया आजाद भारत का पहला बजट

आज़ादी के तीन महीने बाद, यानी नवंबर 1947 में अंतरिम बजट पेश करते हुए केन्‍द्रीय वित्‍त मंत्री आर.के. षणमुखम् चेट्टी ने बढ़ी हुई कीमतों पर चिंता व्‍यक्‍त की थी।

Reported by: Neeraj Chouhan
| Image:self
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आम चुनाव से पहले शुक्रवार को यानि आज अंतरिम बजट संसद में पेश होगा। पूरे देश की निगाहें इस बजट पर ठिकी हैं और पीएम मोदी के इस कार्यकाल का  पांचवां और आखिरी बजट होने जा रहा है। इस बार का बजट वित्त मंत्री अरुण जेटली की जगह पीयूष गोयल पेश करेंगे। लेकिन क्या आपको पता है कि आजाद भारत का पहला बजट का दयारा कितना बढ़ था और किसने इस पेश किया था।

साढ़े सात महीने का पहला बजट

आज़ादी के तीन महीने बाद, यानी नवंबर 1947 में अंतरिम बजट पेश करते हुए केन्‍द्रीय वित्‍त मंत्री आर।के। षणमुखम् चेट्टी ने बढ़ी हुई कीमतों पर चिंता व्‍यक्‍त की थी। इसका मुख्‍य कारण उन्‍होंने ‘समाज के हाथों में अतिरिक्‍त क्रय शक्ति का आना’ और ‘औद्योगिक व कृषि दोनों ही तरह के उत्‍पादनों में चौतरफा गिरावट’ को बताया था।  इस पर गौर करना जरूरी है क्‍योंकि इससे उस समय की अर्थव्‍यवस्‍था की स्थिति का संकेत मिलता है जो एक मामूली घाव से एक ऐसे नासूर का रूप ले चुकी है जो आज भी रिस रहा है। उन्‍होंने ‘सदन का ध्‍यान उस मुद्दे की ओर आकर्षित किया जो सरकार के लिए चिंता का कारण बना हुआ था। यह था उस समय के भारत के विदेशी भुगतानों में भारी पैमाने पर प्रतिकूल संतुलन की स्थिति का बनना’। इसके बाद के अनुच्‍छेदों में उन्‍होंने खाद्यान्‍न के आयात के बढ़ते खर्च का हवाला देकर अपनी बात को समझाया।

यह मुद्दा बाद के दशकों में भी भारत की आर्थिक नीति के लिए इतना महत्‍वपूर्ण बना रहा कि मैं यहां विस्‍तार से उन्‍हें उद्धरित करने से अपने आप को रोक नहीं सकता : ‘‘घाटे का दूसरा और उससे भी अधिक महत्‍वपूर्ण कारण है, जैसा कि सभी जानते हैं, खाद्यान्‍न का आयात। कई वर्षों से भारत खाद्य पदार्थों का नियमित आयात कर रहा है। लेकिन हाल में आयात की मात्रा और कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। 1944-45 और 1945-46 में भारत के खाद्यान्‍न-आयात की लागत क्रमश: 14 करोड़ रुपये और 24 करोड़ रुपये थी। 1946-47 में यह 89 करोड़ रुपये के स्‍तर पर जा पहुंची। ये आंकड़े पूरक खाद्य पदार्थों के आयात के अलावा हैं जिनको विदेशों से मंगाने में 1946-47 में 15 करोड़ रुपये अतिरिक्‍त खर्च हुए। 1947-48 में खाद्यान्‍न के आयात पर खर्च की जाने वाली संभावित राशि 110 करोड़ रुपये है।’’

इन आंकड़ों के पीछे एक कड़वी सच्‍चाई छिपी थी। इससे जनता को भारी मुसीबतें उठानी पड़ीं। इससे भारत की छवि भी धूमिल हुई। टाइम पत्रिका के दिल्‍ली संवाददाता ने 22 अगस्‍त, 1949 के अंक में अपने लेख में लिखा था: ‘भारत ने अपनी स्‍वतंत्रता की वर्षगांठ किफायत के नये और अधिक कठोर उपायों की घोषणा से की। भारत बुनियादी तौर पर आज भी एक भूखा देश है। सरकार ने अनाज का उत्‍पादन बढ़ाने के लिए एक अभियान शुरू किया है। खाद्यान्‍न उत्‍पादन बढ़ाने के इस अभियान के प्रचार के लिए नई दिल्‍ली स्थित वाइसराय के गोल्‍फ कोर्स में हल चलाया गया। गवर्नर जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी हांलांकि कोई गोल्‍फ खिलाड़ी तो नहीं हैं, मगर उन्‍होंने बैलों की जोड़ी के पीछे खड़े होकर फोटो खिंचाया...’

(इनपुट- पीआईबी हिंदी)

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Published February 1st, 2019 at 09:19 IST

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