Updated August 31st, 2021 at 21:57 IST
पहली तिमाही में जीडीपी 20.1 प्रतिशत बढ़ी, भारत दुनिया की तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना रहेगा
कोरोना वायरस की खतरनाक दूसरी लहर के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 20.1 प्रतिशत की रिकार्ड वृद्धि दर्ज की गई।
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कोरोना वायरस की खतरनाक दूसरी लहर के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 20.1 प्रतिशत की रिकार्ड वृद्धि दर्ज की गई। इसका कारण पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही का तुलनात्मक आधार नीचे होना और विनिर्माण तथा सेवा क्षेत्रों का बेहतर प्रदर्शन रहा है।
कोविड-19 महामारी की विनाशकारी दूसरी लहर के बावजूद मजबूत वृद्धि दर हासिल की गयी है। इस वृद्धि के साथ भारत इस साल दुनिया की तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बनने के रास्ते पर है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के मंगलवार को पहली तिमाही के जारी जीडीपी आंकड़े के अनुसार हालांकि सालाना आधार पर तो अर्थव्यवस्था में तीव्र वृद्धि हासिल हुई है लेकिन इससे पिछली तिमाही (जनवरी- मार्च) के मुकाबले अर्थव्यवस्था 16.9 प्रतिशत सुस्त हुई है। जबकि कोविड-पूर्व की अप्रैल-जून, 2019 के मुकाबले अभी भी यह 9.2 प्रतिशत पीछे है।
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में पिछले वित्त वर्ष 2020-21 की अप्रैल-जून तिमाही में 24.4 प्रतिशत की गिरावट आयी थी। इसका कारण, पिछले साल अप्रैल-मई के दौरान कोविड-19 महामारी की रोकथाम के लिये देशव्यापी ‘लॉकडाउन’ लगाया जाना था। इससे अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा। वहीं पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही जनवरी-मार्च के दौरान जीडीपी वृद्धि दर 1.6 प्रतिशत रही थी।
पिछले साल लगातार तीन तिमाहियों में जीडीपी में सुधार आया था जबकि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में पिछले साल की पहली तिमाही के मुकाबले तो वृद्धि हुई है लेकिन पिछली तिमाही (जनवरी से मार्च 2021) के मुकाबले यह घटी है।
सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) पहली तिमाही में सालाना आधार पर 18.8 प्रतिशत बढ़ा है लेकिन तिमाही-दर- तिमाही आधार पर इसमें 13.3 प्रतिशत की गिरावट आयी है। इसका कारण अप्रैल-मई, 2021 में महामारी की दूसरी लहर तथा उसकी रोकथाम के लिये लगाया गया ‘लॉकडाउन’ है।
पहली तिमाही में मजबूत वृद्धि दर का कारण तेजी से टीकाकरण के साथ विनिर्माण क्षेत्र का बेहतर प्रदर्शन है। जबकि सेवा क्षेत्र पर हल्का प्रभाव पड़ा है।
आंकड़ों के अनुसार विनिर्माण समेत विभिन्न क्षेत्रों का प्रदर्शन बेहतर रहा है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र में 49.6 प्रतिशत, निर्माण गतिविधियों में 68.3 प्रतिशत और व्यापार, होटल तथा संचार समेत सेवा क्षेत्र में 34.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
कृषि क्षेत्र में आलोच्य तिमाही में शानदार 4.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जबकि पिछले साल 2020-21 की इसी तिमाही में इसमें 3.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। कृषि एकमात्र क्षेत्र है जिसमें ‘लॉकडाउन’ के बीच पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में वृद्धि हुई थी।
एनएसओ ने एक बयान में कहा, ‘‘स्थिर मूल्य (2011-12) पर जीडीपी 2021-22 की पहली तिमाही में 32.38 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है जो 2020-21 की इसी तिमाही में 26.95 लाख करोड़ रुपये थी। यह 20.1 प्रतिशत वृद्धि है जबकि 2020-21 की पहली तिमाही में उससे पिछले साल की पहली तिमाही के मुकाबले 24.4 प्रतिशत की गिरावट आयी थी।’’
अप्रैल-जून 2019 में जीडीपी का आकार 35.66 लाख करोड़ रुपये था। यानी अर्थव्यवस्था अभी कोविड महामारी से पहले की स्थिति में नहीं पहुंची है।
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कृषि को छोड़कर सभी क्षेत्रों का आकार कोविड-पूर्व स्थिति से कम है। विनिर्माण का आकार 5.43 लाख करोड़ रुपये रहा जो अप्रैल-जून 2019 में 5.67 लाख करोड़ रुपये था। वहीं सेवा क्षेत्र का आकार चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 4.63 लाख करोड़ रुपये रहा जबकि महामारी-पूर्व अप्रैल-जून 2019 में 6.64 लाख करोड़ रुपये था।
कृषि क्षेत्र का आकार 4.86 लाख करोड़ रुपये रहा और यह कोविड-पूर्व स्थिति 4.49 लाख करोड़ रुपये की तुलना में अधिक है।
एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत की की वृद्धि दर में 2020-21 में 7.3 प्रतिशत की गिरावट आयी थी। पिछले साल ‘लॉकडाउन’ की वजह से अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ा।
अर्थव्यवस्था में 2020 के अंत से तेजी आनी शुरू हुई लेकिन अप्रैल-मई में महामारी की दूसरी लहर का असर पड़ा। हालांकि इस बार प्रभाव उतना प्रतिकूल नहीं रहा। इसका कारण पिछली बार की तरह इस बार उतनी कड़ाई से ‘लॉकडाउन’ नहीं लगाया गया।
दूसरी महामारी के बाद अर्थव्यवस्था ने रफ्तार पकड़ी है। लेकिन कुछ विश्लेषकों ने कोरोना वायरस की डेल्टा किस्म और कुछ राज्यों में टीकाकरण की धीमी गति को लेकर आगाह किया है। इससे अर्थव्यवस्था के कोविड-पूर्व के 2900 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंचने में समय लग सकता है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) और एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 9.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। वहीं मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने अर्थव्यवस्था में 9.3 प्रतिशत की वृद्धि की संभावना जतायी है। विश्व बैंक ने 2021-22 में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 8.3 प्रतिशत और फिच रेटिंग्स ने 10 प्रतिशत का अनुमान जताया है।
ये अनुमान चीन की आर्थिक वृद्धि दर 8.5 प्रतिशत रहने की संभावना से अधिक है।
एक्यूट रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुख्य विश्लेषण अधिकारी सुमन चौधरी ने कहा कि आने वाले त्योहारी मौसम, अनुकूल वित्तीय और मौद्रिक नीति, बेहतर वैश्विक वृद्धि दृष्टिकोण के साथ टीकाकरण प्रगति से अर्थव्यवस्था को गति मिलने की उम्मीद है। यह निर्यात के लिए अनुकूल बनी रहेगी।’’ चौधरी ने कहा, ‘‘ हमारा चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 10 प्रतिशत रहने का अनुमान बरकरार है। हालांकि, कोविड महामारी की एक और लहर की आशंका के साथ उपभोक्ता धारणा, नौकरी तथा आय पर पड़ने वाले प्रतिकूल असर को देखते हुए इसके कुछ नीचे जाने का जोखिम बना हुआ है।’’
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डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा कि दूसरी छमाही में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, ‘‘पुनरूद्धार की गति एक-दो तिमाहियों से आगे बढ़ सकती है और अगले वित्त वर्ष में भी इसका असर देखने को मिल सकता है। हमारा अनुमान है कि वृद्धि दर 8 प्रतिशत से अधिक रहेगी। बशर्ते हम संक्रमण की दर को नियंत्रण में रख सकें।’’
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Published August 31st, 2021 at 21:57 IST
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