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Updated June 4th, 2023 at 16:33 IST

जिसके भरोसे रेलवे, वही दे गया धोखा; इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग बना Balasore हादसे की वजह, आखिर क्या है ये सिस्टम

Odisha Train Accident : बालासोर में हुए ट्रेन हादसे की वजह का पता चल गया है। बालासोर में दुखद ट्रेन दुर्घटना "इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में बदलाव" के कारण हुई। रेल मंत्री ने ये बात कही है।

Reported by: Dalchand Kumar
Balasore Train Accident (Image: ANI)
Balasore Train Accident (Image: ANI) | Image:self
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Balasore Train Accident : 2 जून की शाम को ओडिशा के बालासोर में जब 3 ट्रेनें हादसे का शिकार हो गईं, तो पूरा देश सहम गया। भारतीय रेल (Indian Railways) के इतिहास की बेहद दर्दनाक घटना में 288 जिंदगियों ने रेलवे की पटरियों पर दम तोड़ दिया। 1000 हजार से अधिक लोग बुरी तरह जख्मी हुए हैं, जिनमें बहुत से लोग अभी भी मौत से जंग लड़ रहे हैं। रेलवे की सुरक्षा पर उठाते सवालों के बीच अब इस भयानक घटना की असल वजह का खुलासा हो गया है। रेलवे मंत्रालय ने बताया है कि इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम (Electronic interlocking System) बालासोर ट्रेन हादसे का कारण रहा है।

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने खुद हादसे की वजह बताई है। उन्होंने रविवार को कहा कि ओडिशा के बालासोर में दुखद ट्रेन दुर्घटना "इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग में बदलाव" के कारण हुई। उन्होंने कहा, 'जानकारी पॉइंट मशीन इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग के बारे में है। इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग के दौरान जो बदलाव हुआ, उसी के चलते हादसा हुआ। किसने किया और कैसे हुआ यह पूरी जांच के बाद पता चलेगा।'

रेलवे बोर्ड ने बताई हादसे की कहानी

रेलवे बोर्ड की अधिकारी जया वर्मा सिन्हा ने हादसे की पूरी जानकारी देते हुए बताया कि 2 जून को 6 बजकर 55 मिनट पर कोरोमंडल ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हुई। उसके कारण ही अन्य ट्रेनें उसकी चपेट में आई थीं। उन्होंने कहा कि दो एक्सप्रेस गाड़ियों को एक ही समय पर अलग अलग दिशा में पास होना था। लूप लाइन यानी आउटर लाइन पर मालगाड़ी खड़ी थी। मेन लाइन से एक्सप्रेस को गुजरना था। 

उन्होंने बताया कि कोरोमंडल ट्रेन 128 किलोमीटर प्रति घंटा की स्पीड से आ रही थी और हावड़ा एक्सप्रेस की स्पीड 126 किलोमीटर प्रति घंटा की थी। दोनों मेल लाइन पर ग्रीन सिग्नल थे। एक्सीडेंट सिर्फ कोरोमंडल एक्सप्रेस का हुआ था। ये ट्रेन मालगाड़ी से टकराई थी, जबकि हावड़ा एक्सप्रेस इसकी चपेट में आई। रेलवे बोर्ड की अधिकारी ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में हादसे के बारे में बताया कि प्रथम दृष्टया लगता है कि सिग्नल के कारण कोई समस्या हुई होगी।

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इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम बना कारण

अब सवाल है कि इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग क्या है, जिसके फेल होने की वजह से रेलवे इतिहास में ये बड़ा हादसा हुआ और 288 लोगों ने अपनी जान गंवा दी। ऐसे में हम आपको विस्तार से इस सिस्टम के बारे में बताते हैं और ये भी समझाते हैं कि ये सिस्टम काम कैसे करता है?

क्या है इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम?

इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिग्नल तंत्र की व्यवस्था है, जो पटरियों की व्यवस्था के माध्यम से ट्रेनों के बीच परस्पर विरोधी मूवमेंट को रोकती है। यह मूल रूप से संकेतों को अनुचित क्रम में बदलने से रोकने के लिए एक सुरक्षा उपाय है। इस प्रणाली का उद्देश्य यह है कि किसी भी ट्रेन को तब तक आगे बढ़ने का संकेत नहीं मिलता, जब तक कि मार्ग सुरक्षित साबित न हो जाए। सरल शब्दों में कहें तो इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम के जरिए रेलवे सिग्नलिंग को कंट्रोल किया जाता है।

कैसे काम करता है ये सिस्टम?

इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम ट्रेनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सिग्नल और स्विच के बीच ऑपरेटिंग सिस्टम को कंट्रोल करने का काम करता है। जब ट्रेन रेल नेटवर्क पर चलती है, तो उसके साथ साथ इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम चलता रहता है। पूरा रेल नेटवर्क लाइनों से जुड़ा होता है और इन लाइनों को प्वाइंट्स के साथ जोड़ा जाता है। इन पॉइंट्स और सिग्नलों के बीच में लॉकिंग रहती है, जिसके जरिए पॉइंट सेट होने के बाद लाइन के सेट रूट पर ही सिग्नल भेजा जाता है। मतलब ये कि अगर लूप लाइन सेट है, तो लोको पायलट को मेन लाइन का सिग्नल नहीं जाएगा और अगर मेन लाइन सेट है, तो लूप लाइन का सिग्नल नहीं जाएगा। 

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Published June 4th, 2023 at 16:19 IST

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