Updated June 3rd, 2023 at 13:38 IST
लोहे की चादर काट लोगों को निकाला गया; चश्‍मदीद की जुबानी, बालासोर हादसे की दिल दहला देने वाली कहानी
Odisha Train Accident: देश के लिए दुखद खबर ये है कि हादसे में मरने वालों की संख्या 260 से अधिक हो चुकी है। 900 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं, जिनमें से कुछ लोग जिंदगी के लिए लड़ रहे हैं।
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Odisha Triple Train Mishap: बालासोर रेल हादसे ने पूरे देश को गमगीन कर दिया है। कोई अपनों से मिलने निकला था, तो कोई रोजगार के लिए जा रहा था, किसी को घूमना था, लेकिन उससे पहले मौत का एक झपट्टा सैकड़ों लोगों की जिंदगी लील गया। इस दर्दनाक ट्रेन हादसे (Train Accident) में ट्रेन के अंदर बैठे लोगों को संभलने का भी नहीं मौका मिला। तीन रेल गाड़ियों की टक्कर और फिर ट्रेन के ऊपर इंजन, बालासोर (Balasore) में हादसे के बाद हालात कुछ ऐसे ही थे। एक टक्कर ने चंद सेकंड में सैकड़ों जिंदगियां छीन ली। सफर पर निकले लोग मंजिल पर पहुंचने से पहले ही काल के गाल में समा गए। सैंकड़ों लोग हादसे के बाद अस्पताल में अब जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं।
दुर्घटनास्थल पर हादसे का मंजर ऐसा कि देखकर दिल बैठ जाए। चारों तरफ अफरा तफरी। रेलगाड़ी की बोगियां चारों तरफ बिखरी हुई पड़ी थीं। कुछ बोगियां एक दूसरे के ऊपर जा चढ़ीं तो कई डिब्बे रेलवे ट्रैक से दूर जा गिरे। चीख पुकार और जान बचाने की गुहार लग रही थी। हर तरफ सामान बिखरा हुआ था और चारों तरफ लाशों का अंबार था। बदहवास और हताश हर इंसान अपनों की तलाश में लगे हुए थे। किसी को अपनों को खोने का गम तो किसी को ना बचा पाने का दुख था।
लोगों ने घटना की दास्तान बयां की
कई यात्रियों ने सोचा भी नहीं था कि ट्रेन का ये सफर उनकी जिंदगी का आखिरी सफर साबित होगा और कई को कभी ना भूलने वाला गम दे जाएगा। किसी की मंजिल पास थी, तो किसी को सुबह अपनों से मिलने की खुशी थी, लेकिन चंद खुशकिस्मत ही थे, जो मौत के इस तांडव में बचकर निकल आए और फिर हादसे की कहानी बड़े विस्तार से सबको बताई। मौत का सामना करने वाले कुछ लोगों ने रात के अंधेरे में घटी इस घटना की दास्तान बयां की, जो रूह कंपाने वाली थी। हादसे में जिंदा बचकर आए लोगों ने बताया कि घटना के बाद का मंजर भयानक था। किसी का सिर नहीं था, तो किसी के पैर नहीं थे।
हादसे के बारे में बताते हुए कोरोमंडल एक्सप्रेस का एक यात्री ने कहा कि हम S5 बोगी में थे और जिस समय हादसा हुआ उस उस समय मैं सोया हुआ था। हमने देखा कि किसी का सर, हाथ, पैर नहीं था। हमारी सीट के नीचे एक 2 साल का बच्चा था, जो पूरी तरह से सुरक्षित है। बाद में हमने उसके परिवारिजन को बचाया। कुछ लोगों ने बताया कि आगे से डिब्बा गिरता हुआ आया। अंदर जो लोग थे वो इदर उधर गिरे। दोनों तरफ से डिब्बे में प्रेशर हो रहा था, जिससे लोग अदंर दब गए।
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युद्ध स्तर पर राहत और बचाव अभियान चलाया गया
हादसे के बाद युद्ध स्तर पर राहत और बचाव अभियान चलाया गया। स्थानीय लोगों के साथ साथ प्रशासन और पुलिस की टीमें शुरुआत में देवदूत के रूप में यात्रियों की जान बचाने में लगी हुई थीं। बाद में एसडीआरएफ और फिर एनडीआरएफ की टीमों को बुलाया गया। इसके बाद तेजी से रेस्क्यू ऑपरेशन को आगे बढ़ाया गया। रातभर लोगों की जिंदगी को बचाने के लिए ऑपरेशन चलता रहा। सुबह का सूरज निकलने के बाद एयरफोर्स और फिर सेना की टीमें भी ऑपरेशन जिंदगी में सहयोग करने के लिए पहुंच गईं।
करीब 1200 जवान, 200 एंबुलेंस, 50 बसें, 45 मोबाइल हेल्थ यूनिट रेस्क्यू के लिए लगाई गईं। ट्रेन में फंसे लोगों को बोगियों से निकालने के लिए दरवाजों को तोड़ा गया। लोहे की चादर काटकर लोगों को बाहर निकाला गया। रेस्क्यू में कई जेसीबी मशीनें लगाई गईं, जिनके जरिए बोगियों को सीधा करने के साथ साथ पटरी से हटाया गया। अभी तक घटनास्थल से 900 से ज्यादा लोगों को निकालकर अस्पतालों में भर्ती करवाया गया है। देश के लिए दुखद खबर ये है कि हादसे में मरने वालों की संख्या 260 से अधिक हो चुकी है।
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Published June 3rd, 2023 at 12:45 IST
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