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Updated March 15th, 2019 at 00:00 IST

फुटओवर ब्रिज हादसा: मुंबई में डेढ़ साल में तीसरा बड़ा हादसा, ओवरब्रिज से गिरकर कबतक मरेगी मुंबई?

 मुंबई में डेढ़ साल में ये तीसरा पुल हादसा है। इस हादसे के बाद एक बार फिर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर मुंबईकरों की जान इतनी सस्ती क्यों है.

Reported by: Neeraj Chouhan
| Image:self
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दक्षिणी मुंबई में एक रेलवे स्टेशन के पास गुरूवार शाम पैदल पार पुल का बड़ा हिस्सा ढह जाने से पांच लोगों की मौत हो गई और करीब 36 घायल हो गए।

प्रसिद्ध सीएसएमटी स्टेशन के साथ टाइम्स ऑफ इंडिया इमारत के पास वाले इलाके को जोड़ने वाले इस पुल को आम तौर पर ‘कसाब पुल’ के नाम से जाना जाता है क्योंकि 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले के दौरान आतंकवादी इसी पुल से गुजरे थे।

 मुंबई में डेढ़ साल में ये तीसरा पुल हादसा है। इस हादसे के बाद एक बार फिर सवाल उठ रहे हैं कि आखिर मुंबईकरों की जान इतनी सस्ती क्यों है। दरअसल पिछली घटनाओं से सबक नहीं लिया गया। और इस हादसे के होने का इंतजार किया गया।

मुंबई में पुल हादसे का ये पहला मौका नहीं है। डेढ़ साल में ही तीन बार बड़ा हादसा हो चुका है लेकिन इससे सबक नहीं लिया गया। ना पुल की मरम्मत होती है। ना पुराने पुलों को तोड़कर नया बनाया जाता। आम आदमी की जान की कीमत फाइलों में घूमती रहती है । और सरकार हादसे का इंतजार करती रहती है। 

जुलाई 2018 को अंधेरी में फुटओवर ब्रिज गिरा। इस हादसे में छह लोग घायल हुए। 70 साल पुराना गोखले ब्रिज गिरने से हादसा हुआ था। 

कब-कब हादसे?

  • 3 जुलाई 2018
  • अंधेरी में फुटओवर ब्रिज गिरा
  • हादसे में 6 लोग घायल
  • 70 साल पुराना गोखले ब्रिज

इससे पहले 29 सितंबर 2017 को एलफिंस्टन ओवरब्रिज मौत की ब्रिज साबित हुई।  इस हादसे में 23 लोगों की मौत हो गई जबकि 39 लोग घायल हो गए। तेज बारिश के दौरान ओवरब्रिज गिरने के बाद भगदड़ मची और 23 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। तब भी अधिकारियों की नींद नहीं टूटी। 

आम लोगों की जान की बाजी हमारा सिस्टम ऐसे ही लगाता रहा। अगस्त 2016 में मुंबई और गोवा के बीच सावित्री नदी पर एक पुल गिरा। 2 बस और कई गाड़ियां इसमें बह गई। हादसे में 15 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। जबकि 42 से ज्यादा लोग लापता हो गए।

मुंबई में आम लोगों की जान की कीमत कितनी सस्ती है । इसका अंदाजा इन तस्वीरों से लगाया जा सकता है। एक बार फिर मुंबई में बड़ा हादसा हुआ है। सियासी बयानबाजी होगी। कड़े कदम उठाने की बात होगी। लेकिन बड़ा सवाल इन मौतों की जिम्मेदारी कौन लेगा। 

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Published March 14th, 2019 at 23:58 IST

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