Updated August 13th, 2022 at 09:14 IST
UP: 20 रुपए के लिए भारतीय रेलवे के खिलाफ लड़ी लड़ाई, अब कोर्ट ने 22 साल बाद सुनाया फैसला
Uttar Pradesh: तुंगनाथ चतुर्वेदी ने 1999 में भारतीय रेलवे द्वारा टिकट में 20 रुपये ज्यादा चार्ज करने के बाद कोर्ट का रुख किया था।
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Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश के एक वकील तुंगनाथ चतुर्वेदी (Tungnath Chaturvedi) ने 1999 में भारतीय रेलवे (Indian Railways) द्वारा टिकट में 20 रुपये ज्यादा चार्ज करने के बाद कोर्ट का रुख किया था। अब 22 साल बाद 2022 में, कोर्ट ने चतुर्वेदी के पक्ष में फैसला सुनाया है और भारतीय रेलवे को कथित तौर पर उन्हें 15,000 रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है।
चतुर्वेदी ने दो दशकों बाद न्याय मिलने पर खुशी जताई। उन्होंने ANI से अपनी लंबी लड़ाई के बारे में बात करते हुए कहा कि “मैंने 25 दिसंबर 1999 को मुरादाबाद के लिए दो टिकट खरीदे थे, जिसकी कीमत 70 रुपये थी, लेकिन टिकट खिड़की पर क्लर्क ने मुझसे 90 रुपये लिए। मैंने उससे पूछा और स्टेशन मास्टर से भी मिला लेकिन उनमें से किसी ने भी मेरी मदद नहीं की। यही कारण है कि मुझे कानूनी रास्ता अपनाना पड़ा।”
20 रुपए के लिए 22 साल लड़ी लड़ाई
चतुर्वेदी ने मुरादाबाद की दो टिकटों के लिए कथित तौर पर क्लर्क को 100 रुपये दिए थे जिसमें से उन्हें 30 रुपये वापस मिलने थे, लेकिन क्लर्क ने केवल 10 रुपये लौटाए।
चतुर्वेदी ने कहा- “22 साल की लंबी लड़ाई के बाद, कोर्ट ने मेरे पक्ष में फैसला सुनाया और रेलवे को मुझे 15,000 रुपये देने के लिए कहा है। कोर्ट ने भारतीय रेलवे को एक महीने के अंदर इस राशि का भुगतान करने का आदेश दिया है वर्ना उन्हें इन पैसों के अलावा 15% ब्याज भी देना होगा।”
जब उनसे भारतीय रेलवे जितनी बड़ी संस्था के खिलाफ इतनी लंबी लड़ाई लड़ने के बारे में पूछा गया तो चतुर्वेदी ने कहा, “मुझे खुद पर विश्वास था और एक वकील होने के नाते मुझे पर्याप्त कानूनी ज्ञान था। अगर रेलवे कानूनी किराए से ज्यादा लेता है तो हम उन्हें उपभोक्ता जिला निवारण मंच के जरिए सजा दिला सकते हैं। मेरे परिवार ने मुझे ये केस वापस लेने के लिए कहा था लेकिन मैंने उनकी नहीं सुनी और इंसाफ के रास्ते पर चलता रहा।”
उन्होंने आगे कहा- “मैं इस मुकदमे से जुड़ी 100 से ज्यादा सुनवाई कर चुका हूं। कई लोगों ने मामले को स्थगित करने की पूरी कोशिश की, कई अधिकारियों ने मामले को खारिज करने की भी कोशिश की। हालांकि, अंत में न्याय की जीत हुई है। मैं 22 सालों में काफी कुछ सह चुका हूं। जो समय और ऊर्जा मैंने इसमें बर्बाद की है, उसकी कीमत नहीं लगाई जा सकती।”
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Published August 13th, 2022 at 09:14 IST
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