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Updated May 10th, 2023 at 11:41 IST

आरक्षण, बजरंग दल बैन से 'बजरंग बली पर ताला' तक... वो मुद्दे, जिसने Karnataka Election को बना दिया रोचक

Karnataka Polls : 224 विधानसभा सीटों के लिए कर्नाटक में मतदान हो रहा है। इस बार कर्नाटक में भ्रष्टाचार, आरक्षण और बजरंग दल जैसे मुद्दे हावी रहे हैं।

Reported by: Dalchand Kumar
Karnataka Assembly Elections
Karnataka Assembly Elections | Image:self
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Karnataka Elections: कर्नाटक में लोकतांत्रिक उत्सव मनाया जा रहा है। आज राज्य की जनता महामहिम है और उसके हाथों में नई सरकार चुनने की शक्ति है। 224 विधानसभा सीटों के लिए कर्नाटक में मतदान हो रहा है। वोटिंग के लिए उत्साहित लोग अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर रहे हैं। 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले कर्नाटक विधानसभा का ये चुनाव काफी अहम हो जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे के दम पर कर्नाटक में बीजेपी सत्ता वापसी के साथ 38 साल पुराने भ्रम को तोड़ने का प्रयास कर रही है, जबकि इसी पुरानी बदलाव की परंपरा के सहारे कांग्रेस सरकार बनाने की उम्मीद कर रही है। इस बीच एचडी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाला क्षेत्रीय दल जेडीएस अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। 

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए काफी कुछ दांव पर लगा हुआ है, वहीं कांग्रेस के लिए भी बहुत कुछ दांव पर है। कांग्रेस को दक्षिणी राज्य में जीत से भविष्य के लिए 'संजीवनी' मिल सकती है तो बीजेपी के लिए यहां की जीत दक्षिण में पैर पसारने की उसकी उम्मीदों को पंख देगी और 2024 से पहले फिर से उसे मजबूत स्थिति में ला खड़ी करेगी। बीजेपी और कांग्रेस में जोर आजमाइश के बीच ये चुनाव राज्य की तीसरी सबसे बड़ी ताकत जनता दल (सेक्युलर) का भविष्य तय करेगा। हालांकि इस बार के मुद्दों ने पूरा चुनावी रुख बदलकर रख दिया है। कई ऐसे मुद्दे हैं, जो हावी रहे हैं और पूरा अब चुनाव में कहीं ना कहीं इसी के इर्द-गिर्द हो रहा है।

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1. भ्रष्टाचार

त्रिकोणीय चुनाव के लिए प्रचार के दौरान बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने राज्य में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के मुद्दे को उठाया। कांग्रेस ने केएस ईश्वरप्पा से जुड़े मामले को जमकर तूल दिया तो बीजेपी ने भी भ्रष्टाचार के जरिए परिवारवाद को बढ़ाने के आरोप कांग्रेस पर मढ़े। इन दोनों की लड़ाई में भ्रष्टाचार के मुद्दे ने जेडीएस की मुश्किलें बढ़ाने में कसर नहीं छोड़ी है। 

2. आरक्षण

कर्नाटक में आरक्षण का मुद्दा चुनाव परिणामों को तय करने में एक प्रमुख भूमिका निभा सकता है। चुनावों से ठीक पहले मुख्यमंत्री बोम्मई के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने मुस्लिम समुदाय को दिए जाने वाले आरक्षण को खत्म कर दिया और इसे दो समुदायों - वोक्कालिगा और लिंगायत के बीच समान रूप से विभाजित करने का निर्णय लिया। वर्तमान में यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है और इसके बावजूद तमाम चुनावी रैलियों के दौरान इसे कई बार उठाया गया था। ओबीसी सूची के तहत मुसलमानों के लिए 4% कोटा खत्म करने के फैसले के लिए राज्य सरकार का बचाव करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि बीजेपी ने कर्नाटक में आरक्षण कोटा खत्म करके कांग्रेस की गलती को सुधारा है।

3. अमूल Vs नंदिनी

अमूल और स्थानीय दूध नंदिनी के बीच का मुद्दा चुनावी राज्य कर्नाटक में खूब गूंजा। कांग्रेस ने बीजेपी पर क्षेत्रीय नंदिनी ब्रांड को अमूल में विलय करने की योजना बनाने का आरोप लगाया। हालांकि भगवा पार्टी ने आरोपों को खारिज कर दिया। यही नहीं, अपने घोषणा पत्र में भी बीजेपी ने लोगों को आधा लीटर नंदिनी दूध हर रोज देने का वादा भी कर डाला

4. बजरंग दल प्रतिबंध

कर्नाटक चुनावों में सबसे ताजा तरीन मुद्दा बजरंग दल का रहा है, जिसका काफी असर देखने को मिल सकता है। कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में इस हिंदू संगठन पर बैन करना का वादा किया है। बजरंग दल के सहारे बीजेपी और तमाम विरोधियों को बैठे बिठाए बजरंग बली का मुद्दा मिल गया। बीजेपी ने कांग्रेस पर बजरंग बली का अपमान करने के आरोप लगाए। प्रधानमंत्री मोदी ने भी रैलियों से खूब बजरंग बली के नारे लगाते हुए कांग्रेस को घेरा। 

5. गड्ढे

कर्नाटक में सड़कों पर गड्ढे भी चुनावी मुद्दों में शुमार रहे हैं। आईटी हब कहे जाने वाले बेंगलुरु में सड़कों पर गड्ढों की समस्या ने राजनीति के गलियारों में खूब सुर्खी बंटोरी। इसका नतीजा ये रहा कि चुनावों से ठीक पहले बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) ने पूरे बेंगलुरु शहर में सड़कों का निर्माण किया।

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Published May 10th, 2023 at 11:40 IST

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