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Updated April 26th, 2024 at 12:17 IST

EVM और VVPAT मसले पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, पर्चियों के मिलान वाली याचिकाएं खारिज

EVM-VVPAT को लेकर दायर याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। अदालत ने टिप्पणी की कि आंख मूंदकर एक बनी बनाई व्यवस्था पर सवाल नहीं खड़े किए जा सकते हैं।

Reported by: Digital Desk
Edited by: Dalchand Kumar
EVM-VVPAT Verification issue
EVM-VVPAT मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया। | Image:ANI/PTI
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EVM-VVPAT Verification: इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) के मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके मांग की गई थी कि अदालत ईवीएम (EVM) के जरिए डाले गए वोटों के साथ 100 फीसदी VVPAT पर्चियों का मिलान करने के निर्देश दे या या फिर बैलेट पेपर से चुनाव हो। सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग की तरफ से अपना पक्ष सुप्रीम कोर्ट में रख दिया गया था। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया है। 

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता वाली बेंच इस मसले पर सुनवाई कर रही थी। दोनों जजों ने एकमत होकर फैसला दिया है और मामले से जुड़ी सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि हमने सभी याचिकाओं को खारिज किया है। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने दो अहम निर्देश भी दिए हैं। पहला निर्देश ये कि चुनाव के बाद सिंबल लोडिंग यूनिटों को 45 दिनो तक सील कर सुरक्षित किया जाए। दूसरा निर्देश ये कि  उम्मीदवारों के पास परिणामों की घोषणा के बाद टेक्निकल की एक टीम द्वारा EVM के माइक्रोकंट्रोलर प्रोग्राम की जांच कराने का विकल्प होगा। जिसे चुनाव की घोषणा के 7 दिनों के भीतर किया जा सकेगा जिसे चुनाव परिणाम की घोषणा के साथ दिनों के भीतर किया जा सकेगा।

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सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा था फैसला

24 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। उसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के अधिकारी को बुलाकर इस मसले पर स्पष्टीकरण मांगा था। बेंच ने कहा कि उसे कुछ पहलुओं पर स्पष्टीकरण की जरूरत है, क्योंकि ईवीएम पर 'अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों' (एफएक्यू) के बारे में निर्वाचन आयोग ने जो उत्तर दिए हैं उनमें कुछ भ्रम है। वो बिंदु, जिन पर कोर्ट ने स्पष्टीकरण मांगा था...

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  • क्या माइक्रोकंट्रोलर ,कंट्रोलिंग यूनिट में इंस्टाल होता है या VVPAT में?
  • क्या माइक्रोकंट्रोलर में सिर्फ एक बार ही प्रोगाम फीड किया जा सकता है?
  • सिंबल लोडिंग यूनिट्स आयोग के पास कितनी उपलब्ध हैं?
  • इलेक्शन पिटीशन दाखिल करने की समयसीमा चुनाव खत्म होने के बाद 30 दिन है या 45 दिन?
  • क्या कंट्रोल यूनिट के साथ-साथ वीवीपीएटी मशीन भी सील की जाती है?.

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चुनाव आयोग ने क्या स्पष्टीकरण दिया?

सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखा था। वीवीपैट और ईवीएम को लेकर मांगे गए स्पष्टीकरण पर अधिकारी ने अपना जवाब दिया था। चुनाव आयोग के अधिकारी ने कोर्ट को बताया-

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  • एक वोटिंग यूनिट में एक बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और एक VVPAT यूनिट होती है। सभी यूनिट में अपना अपना माइक्रो कंट्रोलर होता है। इन कंट्रोलर से छेड़छाड़ नहीं हो सकती है।
  • सभी माइक्रो कंट्रोलर में सिर्फ एक ही बार प्रोग्राम फीड किया जा सकता है।
  • चुनाव चिन्ह अपलोड करने के लिए हमारे पास दो मैन्युफैक्चर हैं- एक ECI और दूसरा भारत इलेक्ट्रॉनिक्स।
  • सभी मशीन 45 दिन तक स्ट्रांग रूम में सुरक्षित रखी जाती हैं। उसके बाद रजिस्ट्रार, इलेक्शन से इस बात की पुष्टि की जाती है कि क्या चुनाव को लेकर कोई याचिका तो दायर नहीं हुई है। अगर अर्जी नहीं दायर होती है तो स्ट्रांग रूम को खोला जाता है। वहीं कोई याचिका दायर होने की सूरत में रूम को सीलबन्द रखा जाता है।

कोर्ट में क्या सवाल उठाए गए थे?

24 अप्रैल को ADR के वकील प्रशांत भूषण ने दलील रखते हुए कहा कि हर माइक्रो कंट्रोलर में एक फ्लैश मेमोरी होती है। ये कहना ठीक नहीं होगा कि फ्लैश मेमोरी में कोई दूसरा प्रोगाम फीड नहीं किया जा सकता है। प्रशांत भूषण ने दलील दी कि वो चुनाव चिन्ह के साथ साथ कोई गलत प्रोगाम तो अपलोड कर सकते हैं। मेरा अंदेशा उस बात को लेकर है। अदालत ने कहा कि हम आपकी दलील को समझ गए। हम फैसले में इसका ध्यान रखेंगे। इसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था।

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Published April 26th, 2024 at 10:48 IST

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