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Updated April 24th, 2024 at 15:51 IST

EVM और VVPAT, कैसी होती है वोटिंग यूनिट, क्या छेड़छाड़ संभव? चुनाव आयोग ने सब बताया; फैसला सुरक्षित

EVM-VVPAT: सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग ने अपना पक्ष रखा और वीवीपैट-ईवीएम को लेकर मांगे गए स्पष्टीकरण पर अपना जवाब दिया।

Reported by: Digital Desk
Edited by: Dalchand Kumar
EVM-VVPAT Verification
ईवीएम-वीवीपैट पर चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में स्पष्टीकरण दिया। | Image:ANI/PTI
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EVM-VVPAT Verification: देश में चुनाव है और इसी माहौल के बीच EVM और VVPAT से जुड़े सवालों पर चुनाव आयोग ने स्थिति एकदम स्पष्ट कर दी है। देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग ने EVM और VVPAT पर्चियों के मिलान और उनके काम को अच्छे से समझाया है। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में इतना भी स्पष्ट कर दिया है कि एक वोटिंग यूनिट के माइक्रो कंट्रोलर से छेड़छाड़ भी नहीं की जा सकती है। फिलहाल अदालत ने सभी पक्षों को सुनते हुए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।

सुप्रीम कोर्ट में एक अर्जी लगाई गई थी, जिसमें मांग की गई कि अदालत इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के जरिए डाले गए वोटों के साथ 100 फीसदी वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) पर्चियों का मिलान करने के निर्देश दे। याचिका पर बुधवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कुछ सवालों पर चुनाव आयोग से स्पष्टीकरण मांगा था। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग के अधिकारी को बुलाया था।

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कोर्ट ने किन बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा?

  • क्या माइक्रोकंट्रोलर ,कंट्रोलिंग यूनिट में इंस्टाल होता है या VVPAT में?
  • क्या माइक्रोकंट्रोलर में सिर्फ एक बार ही प्रोगाम फीड किया जा सकता है?
  • सिंबल लोडिंग यूनिट्स आयोग के पास कितनी उपलब्ध हैं?
  • इलेक्शन पिटीशन दाखिल करने की समयसीमा चुनाव खत्म होने के बाद 30 दिन है या 45 दिन?
  • क्या कंट्रोल यूनिट के साथ-साथ वीवीपीएटी मशीन भी सील की जाती है?

चुनाव आयोग ने स्पष्टीकरण दिया

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता वाली बेंच ने कहा कि उसे कुछ पहलुओं पर स्पष्टीकरण की जरूरत है, क्योंकि ईवीएम पर 'अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों' (एफएक्यू) के बारे में निर्वाचन आयोग ने जो उत्तर दिए हैं उनमें कुछ भ्रम है। दोबारा दोपहर 2 बजे के बाद की सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने अपना पक्ष रखा। वीवीपैट और ईवीएम को लेकर मांगे गए स्पष्टीकरण पर अधिकारी ने अपना जवाब दिया। चुनाव आयोग के अधिकारी ने कोर्ट को बताया-

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  • एक वोटिंग यूनिट में एक बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और एक VVPAT यूनिट होती है। सभी यूनिट में अपना अपना माइक्रो कंट्रोलर होता है। इन कंट्रोलर से छेड़छाड़ नहीं हो सकती है।
  • सभी माइक्रो कंट्रोलर में सिर्फ एक ही बार प्रोग्राम फीड किया जा सकता है।
  • चुनाव चिन्ह अपलोड करने के लिए हमारे पास दो मैन्युफैक्चर हैं- एक ECI और दूसरा भारत इलेक्ट्रॉनिक्स।
  • सभी मशीन 45 दिन तक स्ट्रांग रूम में सुरक्षित रखी जाती हैं। उसके बाद रजिस्ट्रार, इलेक्शन से इस बात की पुष्टि की जाती है कि क्या चुनाव को लेकर कोई याचिका तो दायर नहीं हुई है। अगर अर्जी नहीं दायर होती है तो स्ट्रांग रूम को खोला जाता है। वहीं कोई याचिका दायर होने की सूरत में रूम को सीलबन्द रखा जाता है।

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कोर्ट रूम में और क्या-क्या हुआ?

ADR के वकील प्रशांत भूषण ने दलील रखते हुए कहा कि हर माइक्रो कंट्रोलर में एक फ्लैश मेमोरी होती है। ये कहना ठीक नहीं होगा कि फ्लैश मेमोरी में कोई दूसरा प्रोगाम फीड नहीं किया जा सकता है। इस पर जस्टिस संजीव खन्ना बोले- 'इसलिए हमने चुनाव आयोग से भी यही सवाल पूछा था। आयोग का कहना है कि फ्लैश मेमोरी में कोई दूसरा प्रोग्राम फीड नहीं किया जा सकता। उनका कहना है कि वो फ्लैश मेमोरी में कोई प्रोगाम अपलोड नहीं करते, बल्कि चुनाव चिन्ह अपलोड करते हैं, जोकि इमेज की शक्ल में होता है। हमें तकनीकी चीजों पर आयोग पर यकीन करना ही होगा।'

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फिर प्रशांत भूषण ने दलील दी कि वो चुनाव चिन्ह के साथ साथ कोई गलत प्रोगाम तो अपलोड कर सकते हैं। मेरा अंदेशा उस बात को लेकर है। अदालत ने कहा कि हम आपकी दलील को समझ गए। हम फैसले में इसका ध्यान रखेंगे।

जस्टिस दीपांकर दत्ता ने प्रशांत भूषण से कहा कि 'क्या हम संदेह के आधार पर कोई आदेश जारी कर सकते हैं? जिस रिपोर्ट पर आप भरोसा कर रहे हैं, उसमें कहा गया है कि अभी तक हैकिंग की कोई घटना नहीं हुई है। हम किसी दूसरे संवैधानिक अथॉरिटी को नियंत्रित नहीं करते हैं। हम चुनावों को नियंत्रित नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में VVPAT की बात कही गई थी और उसका पालन किया गया, लेकिन इसमें कहां कहा गया है कि सभी पर्चियों का मिलान करें, इसमें 5 प्रतिशत लिखा है। अब देखते हैं कि क्या इन 5 प्रतिशत के अलावा कोई उम्मीदवार कहता है कि दुरुपयोग के मामले आए हैं।'  चुनाव आयोग के स्पष्टीकरण के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित किया।

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Published April 24th, 2024 at 15:39 IST

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