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Updated April 20th, 2024 at 16:49 IST

Ravi Pradosh Vrat Vidhi: कल रखा जाएगा रवि प्रदोष व्रत, जानें किस विधि से होगी शिवजी की पूजा

हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का खास महत्व माना जाता है। यह एक ऐसा दिन है जब भक्त भोले नाथ को प्रसन्न करके अपनी सभी मनोकामनाएं पूरी करवा सकते हैं।

Reported by: Sadhna Mishra
ravi pradosh vrat puja vidhi
कैसे करें रवि प्रदोष व्रत | Image:Freepik
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Ravi Pradosh Vrat Puja Vidhi: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत को बहुत ही खास माना गया है। यह एक ऐसा व्रत है, जिसे करने से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी हो सकती है। साथ ही वह भोले नाथ की कृपा भी प्राप्त करता है।

यह व्रत हर महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। वहीं जब यह रविवार के दिन पड़ता है, तो इसे रवि प्रदोष के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक अगर प्रदोष व्रत रविवार को पड़ता है, तो इस दिन शिव जी की पूजा के साथ ही सूर्य देव की भी पूजा की जाती है और अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य की स्थिति ठीक न हो तो इस पूजा से उसे मजबूत भी बनाया जा सकता है। तो चलिए जानते हैं कि प्रदोष व्रत की पूजा कैसे होती है और रवि प्रदोष व्रत का महत्व क्या है।

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कब रखा जाएगा प्रदोष व्रत?  (Kab rakha Jayega Pradosh Vrat)

पंचांग के मुताबिक चैत्र माह (Chaitra Maah Ka Pradosh Vrat) के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 20 अप्रैल की रात 10 बजकर 41 मिनट से होगी, जिसका समापन 22 अप्रैल की रात 1 बजकर 11 मिनट पर होगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार प्रदोष व्रत 21 अप्रैल दिन रविवार का रखा जाएगा। इस बार यह रविवार (Ravi Pradosh Vrat) को पड़ रहा है, जिसकी वहज से इसका नाम रवि प्रदोष व्रत पड़ा है। यह बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है।

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रवि प्रदोष व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त? (Ravi Pradosh Vrat Muhurat)

प्रदोष व्रत में शिव जी के साथ माता पार्वती (Mata Parvati) की भी पूजा-अर्चना की जाती है। इस व्रत में पूजा शाम के समय में की जाती है। पंचांग के मुताबिक 21 अप्रैल (April 2024) दिन रविवार को पूजा का शुभ मुहूर्त शाम के 6 बजकर 51 से लेकर रात में 9 बजकर 2 मिनट तक है। ऐसे में इस बीच आप कभी भी पूजा कर सकते हैं।

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रवि प्रदोष व्रत का महत्व क्या है?

धार्मिक मान्यता के मुताबिक रवि प्रदोष व्रत रखने वाले व्यक्ति को सुख, शांति और लंबी आयु का वरदान मिलता है। साथ ही प्रदोष व्रत का संबंध सूर्य देव (Surya Dev) से होता है। ऐसे में अगर किसी की कुंडली में सूर्य की स्थिति कमजोर है, तो उसके लिए रवि प्रदोष व्रत करना बहुत ही शुभ फलदायी हो सकता है। इस व्रत को रखने से व्यक्ति को मान-सम्मान, यश, धन और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

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प्रदोष व्रत पूजा विधि

  • प्रदोष व्रत वाले दिन सुबह नहा-धोकर भगवान शिव के सामने जाएं और फिर व्रत का संकल्प लेकर पूरे दिन उपवास रखें।
  • भगवान शिव-पार्वती और नंदी को पंचामृत और गंगाजल से स्नान कराकर बेल पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पान, सुपारी, लौंग और इलायची चढ़ाएं और विधिवत शिवजी के साथ पूरे परिवार की पूजा करें।
  • फिर ठीक इसी तरह से शाम के समय में फिर से स्नान करके शंकर जी की पूजा करें। 
  • साथ ही भगवान शिव को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं और आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं। इसके बाद शिवजी की आरती करें। फिर प्रसाद ग्रहण करें।  

यह भी पढ़ें… Ravi Pradosh Vrat 2024: कब रखा जाएगा प्रदोष व्रत? क्या है इसका महत्व, कैसे करें शिवजी को प्रसन्न

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सिर्फ अलग-अलग सूचना और मान्यताओं पर आधारित है। REPUBLIC BHARAT इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्‍यता और प्रमाणिकता का दावा नहीं करता है।

Published April 20th, 2024 at 16:17 IST

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