Updated October 23rd, 2021 at 14:57 IST
Happy Karva Chauth 2021: पांच साल बाद बना है ये विशेष योग, करवा चौथ का महत्व, इतिहास के साथ जानें पूजा की विधि
करवा चौथ पर विवाहित महिलाएं न केवल अपने पति की लंबी उम्र के लिए बल्कि प्यार और स्नेह के प्रतीक के रूप में भी निर्जला व्रत रखती हैं।
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करवा चौथ हिंदू संस्कृति में महिलाओं के लिए सबसे शुभ उत्सवों में से एक माना गया है। विवाहित महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं। इस पर्व को न केवल अपने पति की लंबी उम्र के लिए बल्कि प्यार और स्नेह के प्रतीक के रूप में भी माना गया है। देश के कई हिस्सों में कुछ कुंवारी युवतियां भी अपने लिए आदर्श वर मिलने की उम्मीद में करवा चौथ का व्रत रखती हैं।
करवा चौथ हर साल हिंदू कैलेंडर के मुताबिक कार्तिक महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस साल करवा चौथ रविवार, 24 अक्टूबर, 2021 को है। महिलाएं इस दिन रात में करवा नामक मिट्टी के बर्तन में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद अपना उपवास तोड़ती हैं।
इस बार करवा चौथ पर्व पर पांच साल बाद विशेष योग बन रहा है। बताते हैं, इस बार करवा चौथ पर रोहिणी नक्षत्र और रविवार का संयोग है। यह संयोग पूरे पांच साल बाद आया है। इस संयोग में श्रीगणेश के साथ सूर्यदेव की भी विशेष कृपा होगी।
इस दिन व्रत रखने से गणेश भगवान के साथ सूर्यदेव का भी आशीर्वाद मिलेगा। करवा चौथ का व्रत निर्जल किया जाता है। इस व्रत में चंद्रमा के उदय होने पर भगवान गणेश, कार्तिकेय, माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करके चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत समाप्त किया जाता है।
करवा चौथ की पौराणिक कथा
व्रत कथा के अनुसार वीरावती नाम की एक रानी अपने पति से बहुत प्यार करती थी। उसके सात भाई थे, जिनमें से सभी उसे प्यार करते थे। किंवदंती के अनुसार, वीरवती ने करवा चौथ पर अपने मायके गई थी। जहां वो अपने पति की लंबी उम्र के लिए उपवास कर रही थी। दिनभर उपवास रहने के कारण शाम को उसे थोड़ा चक्कर आ रहा था, लेकिन वह चांद के निकलने का इंतजार कर रही थी, ताकि वह कुछ खा सके। जब उसके भाइयों ने उसे इस तरह देखा तो इसे बर्दाश्त नहीं कर सके और उसे कुछ खाने के लिए कहा। जब उसने मना कर दिया, तो उन्होंने उसकी पीड़ा को दूर करने के लिए एक योजना बनाई और उसका एक भाई एक पीपल के पेड़ पर चढ़ गया और एक लौ के सामने एक छलनी रखी। वे चाहते थे कि वीरावती को विश्वास हो जाए कि चांद निकल आया है और वह अब अपना उपवास तोड़ सकती है। जब वीरावती ने ज्वाला देखी तो उसने अपने भाइयों पर भरोसा किया और उपवास तोड़ दिया।
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तभी दुर्भाग्य से उसके ऐसा करने के कुछ ही मिनटों में उसके पति की मृत्यु की खबर आ गई। इसके बाद एक देवी उसके सामने आई और उसे पता चला कि उसके भाइयों ने उसे धोखा दिया है, तो वह रोने लगी। इसके बाद वीरावती ने निर्जला व्रत रखने का वादा किया और देवी से अपने पति को वापस लाने की प्रार्थना की। इसके बाद मृत्यु के देवता यम ने उनकी भक्ति को देखते हुए उनके पति को जीवित कर दिया।
करवा चौथ का महत्व
करवा चौथ के अवसर पर विवाहित महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती से अपने पति की लंबी आयु की प्रार्थना करती हैं। इस दिन महिलाएं जातीय कपड़े पहनती हैं। महिलाएं व्रत कथा सुनने और गीत गाने के लिए साम को एक स्थान पर एकत्रित होती हैं। शाम को पूजा की जाती है और चंद्रमा दिखने के बाद व्रत तोड़ा जाता है। करवा चौथ पर चंद्रमा के 2021 में रोहिणी नक्षत्र में उदय होने की भविष्यवाणी की गई है। यह नक्षत्र हिंदू कैलेंडर के अनुसार विशेष रूप से भाग्यशाली माना गया है और चूंकि चंद्रमा इस नक्षत्र का स्वामी है, इसलिए ऐसा माना जाता है कि इसमें चंद्रमा को देखना और उसकी पूजा करना है अत्यधिक शुभ रहेगा।
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Published October 23rd, 2021 at 14:57 IST
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