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Updated May 5th, 2024 at 15:57 IST

राहुल गांधी@अमेठी टू रायबरेली, क्या वायनाड के वोटिंग पैटर्न से कांग्रेस को सता रहा है हार का डर?

15 साल तक अमेठी का प्रतिनिधित्व करने वाले राहुल गांधी बजाय उसी सीट से स्मृति ईरानी की चुनौती को स्वीकार करने के, रायबरेली से ताल ठोक रहे हैं।

Reported by: Dalchand Kumar
congress leader rahul gandhi
कांग्रेस नेता राहुल गांधी | Image:facebook
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Rahul Gandhi: 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी एक ऐसे नेता हैं, जो एक साथ दो सीटों- रायबरेली और वायनाड से चुनाव लड़ रहे हैं। मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में कांग्रेस के हिसाब से उत्तर प्रदेश में रायबरेली सीट गांधी परिवार के लिए सबसे सुरक्षित है। ये बात सिद्ध इसलिए होती है कि 15 साल तक अमेठी का प्रतिनिधित्व करने वाले राहुल गांधी बजाय उसी सीट से स्मृति ईरानी की चुनौती को स्वीकार करने के, रायबरेली से ताल ठोक रहे हैं। पर क्या कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए वायनाड सीट सुरक्षित रही गई है? राहुल गांधी के रायबरेली से नामांकन पत्र दाखिल करने के बाद सवाल उठने लगे हैं।

वायनाड से राहुल गांधी ने 2019 का चुनाव जीता था। हालांकि उसी चुनाव में वो उत्तर प्रदेश के अमेठी में हार गए थे, जो लोकसभा क्षेत्र कभी कांग्रेस का मजबूत किला हुआ करता था। कांग्रेस को पहले से ही अमेठी में हार की आशंका थी। इसी डर से राहुल गांधी ने सुरक्षित सीट के तौर पर वायनाड को चुना था। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष 2024 में वायनाड से भी लड़ रहे हैं। हालांकि 2024 के चुनाव में वायनाड में अगर कांग्रेस को जीत की पूरी संभावना है तो राहुल गांधी का रायबरेली लौट क्यों हुआ है, ये बड़े सवाल खड़े कर रहा है। कहीं वाकई ऐसा तो नहीं कि कांग्रेस को इस बार वायनाड में हार का डर है और शायद इसी डर में रायबरेली को राहुल गांधी के लिए फिक्स किया है। उत्तर प्रदेश में 80 लोकसभा सीटों में से महज रायबरेली एक सीट बाकी है, जहां कांग्रेस मजबूती से टिकी हुई है।

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बीजेपी वायनाड में राहुल की हार का दावा कर रही है

भारतीय जनता पार्टी, खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बार-बार दावा कर रहे हैं कि राहुल गांधी वायनाड से चुनाव हार रहे हैं। खासकर कांग्रेस सांसद के रायबरेली सीट से नामांकन के बाद बीजेपी ने इस आवाज को और बुलंद कर दिया है। पीएम मोदी दावा करते हैं कि राहुल गांधी ने केरल के वायनाड में 'हार के डर' से ये कदम उठाया है।

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3 मई को पश्चिम बंगाल के बर्द्धमान में आयोजित हुई रैली से प्रधानमंत्री ने कहा था- 'शहजादे (राहुल गांधी) वायनाड में हारने वाले हैं। दूसरी सीट पर उनके सारे चेले-चपाटे कह रहे थे अमेठी आएंगे-अमेठी आएंगे। लेकिन अमेठी से भी इतना डर गए कि वहां से भागकर रायबरेली में रास्ता खोज रहे हैं। ये लोग (राहुल गांधी) घूम-घूम कर सबको कहते हैं- डरो मत! मैं भी इन्हें कहता हूं, अरे डरो मत! भागो मत!'

मध्य प्रदेश के CM मोहन यादव एएनआई से कहते हैं- 'राहुल गांधी अमेठी में चुनाव हार गए और भाग गए। अब वो वायनाड से भागने की क्यों सोच रहे हैं? उनके मन में डर की भावना है। ये पीएम मोदी की लोकप्रियता के कारण है।' बीजेपी राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम कहते हैं- 'वो (राहुल गांधी) केरल के वायनाड के अलावा उत्तर प्रदेश के रायबरेली से भी लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं, क्योंकि वो दक्षिणी राज्य में मुकाबला हारने जा रहे हैं।'

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वायनाड का वोटिंग पैटर्न क्या कहता है?

खैर, वायनाड में स्थिति बदली है तो इसे वोटिंग पैटर्न से समझा जा सकता है और वोटिंग पैटर्न ये कहता है कि राहुल गांधी के लिए चुनौती आसान नहीं रही है। 27 अप्रैल को दूसरे चरण में वायनाड सीट पर चुनाव हुए थे। वायनाड में मुकाबला त्रिकोणीय रहा है। कांग्रेस से राहुल गांधी थे, तो भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) से डी राजा की पत्नी एनी राजा और बीजेपी ने के सुरेंद्रन को टिकट दिया। तीनों के बीच जबरदस्त मुकाबला रहा है। हालांकि वोटिंग पैटर्न कांग्रेस के लिए चिंताजनक हो सकता है। वो इसलिए कि 2019 के मुकाबले इस बार वायनाड में वोट कम पड़े हैं।

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 2019 के चुनाव में वायनाड से चुनाव लड़ा और 64.7 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 7 लाख से अधिक वोटों से जीत हासिल की। उस समय वायनाड की जनता ने खुलकर वोट किया था। 2019 में वायनाड में वोटिंग 80 प्रतिशत से ज्यादा थी। उसके पहले 2014 में 73.2 प्रतिशत वोट पड़े थे। 2024 में वायनाड सीट पर मतदान 73.5 प्रतिशत रहा है, जिसमें 2019 के मुकाबले तकरीबन 7 प्रतिशत की कमी हुई है।

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बीजेपी दक्षिण भारत में इस बार मजबूती का दावा करती है। केरल में खैर बीजेपी का अपना वर्चस्व नहीं है। फिर भी के सुरेंद्रन के राहुल गांधी के खिलाफ उतरने से चुनौती बड़ी हो जाती है। इसका असर भी कांग्रेस के वोट प्रतिशत पर पड़ेगा। वायनाड में कांग्रेस के लिए वोट पैटर्न इसलिए मायने रखता है कि सीपीआई से एक मजबूत चेहरे के रूप में एनी राजा सामने खड़ी हैं। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का केरल में अपना वोटबैंक है। उसमें भी वायनाड सीट पर सीपीआई के महासचिव डी राजा की पत्नी एनी राजा हैं, जिन्होंने निश्चित तौर पर कांग्रेस के वोटबैंक को प्रभावित किया होगा। अब के सुरेंद्रन कांग्रेस का वोट तोड़ लाए तो एनी राजा का पलड़ा भारी हो जाएगा। खैर, वोटिंग हो चुकी है और अब 4 जून के नतीजों से ही स्थिति स्पष्ट होगी।

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Published May 5th, 2024 at 15:57 IST

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